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Bengal News: पुलिस ने बताया बंगाल में काले धन को सफेद करने के लिए गिरोह किस तरह से कर रहा काम?

Bengal News पश्चिम मेदिनीपुर जिले में इस तरह के कई आरोप सामने आए हैं। करोड़ों का इनाम जीतने वाली लाटरी के टिकटों को विजेताओं से खरीदकर उन लोगों को बेचे जा रहे हैं जो अपने काले धन को सफेद करना चाहते हैं।

By Jagran NewsEdited By: Vinay Kumar TiwariUpdated: Tue, 01 Nov 2022 08:19 PM (IST)
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Bengal News: पुलिस का कहना है कि कोई भी सुराग मिलने पर कानून के मुताबिक कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

कोलकाता, राज्य ब्यूरो। Bengal News: बंगाल में लाटरी कारोबार की आड़ में काले धन को सफेद करने वाले गिरोह का पता चला है। पता चला है कि करोड़ों का इनाम जीतने वाली लाटरी के टिकटों को विजेताओं से खरीदकर उन्हें उन लोगों को बेचे जा रहे हैं, जो अपने काले धन को सफेद करना चाहते हैं। पश्चिम मेदिनीपुर जिले में इस तरह के कई आरोप सामने आए हैं।

जिला पुलिस अधीक्षक अमरनाथ के ने कहा-'इस तरह के गिरोह के बारे में हमें भी खबर मिली है। विभिन्न इलाकों पर कड़ी नजर रखी जा रही है। कोई भी सुराग मिलने पर कानून के मुताबिक कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

गौरतलब है कि पश्चिम मेदिनीपुर जिले के विभिन्न इलाकों में लाटरी की दुकानें तेजी से बढ़ रही हैं। लाटरी कारोबारियों के ही एक वर्ग का कहना है कि बहुत से लोगों ने इसके जरिए अपने काले रुपयों को सफेद कर लिया है। एक लाटरी कारोबारी ने नाम नहीं प्रकाशित करने की शर्त पर बताया कि कोई अगर लाटरी में करोड़ों का इनाम जीतता है तो इस गिरोह के सदस्य उसके पास पहुंच जाते हैं। एक करोड़ रुपये जीतने पर आयकर विभाग को टैक्स देने के बाद करीब साढ़े 72 लाख विजेता को मिलते हैं।

गिरोह के सदस्य इनाम जीतने वाले को 80 लाख अथवा एक करोड़ नकद देकर उससे टिकट खरीद लेते हैं और उसके बाद उस टिकट की उस व्यक्ति को बिक्री कर देते हैं, जो अपने काले रुपये को सफेद करना चाहता है। एक लाटरी विक्रेता ने बताया कि एक दिन में तीन बार लाटरी का खेल होता है। प्रत्येक टिकट की बिक्री पर 50 पैसे का कमीशन मिलता है। एक लाटरी विक्रेता टिकट बिक्री कर एक महीने में छह से सात हजार रुपये का रोजगार कर लेता है।

अगर उसके पास से बेचे गए लाटरी के टिकट पर पुरस्कार मिलता है तो उसे अलग से कमीशन भी मिलता है। अगर कोई एक करोड़ का इनाम जीतता है तो लाटरी विक्रेता को एक लाख रुपये मिलते हैं लेकिन जो विजेताओं से टिकट खरीद कर उन्हें दूसरे को बेचते हैं, वे पांच से 10 लाख रुपये कमा लेते हैं। दरअसल लाटरी टिकट की बिक्री करते समय खरीदार का परिचय पत्र पंजीकृत करने का अब तक कोई नियम नहीं है। इसी का फायदा उठाकर काले धन को सफेद किया जा रहा है।

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