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Saradha Scam: सारधा चिट फंड मामले में एक्टिव हुई बंगाल पुलिस, सुवेंदु अधिकारी के भाई सौमेंदु को पुछताछ के लिए बुलाया

सारधा चिट फंड घोटाला मामले में पश्चिम बंगाल पुलिस ने बीजेपी नेता सुवेंदु अधिकारी के भाई सौमेंदु अधिकारी को पूछताछ के लिए बुलाया है। सौमेंदु को तीसरी बार समन भेजा गया है। कांथी थाने में उनसे पूछताछ की जाएगी। सौमेंदु ने कहा कि ने कहा कि उन्हें निशाना बनाया जा रहा है।

By Jagran NewsEdited By: Manish NegiUpdated: Thu, 02 Nov 2023 04:29 PM (IST)
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सारधा चिट फंड मामले में सौमेंदु अधिकारी को समन भेजा गया है (फोटो- एएनआई)
राज्य ब्यूरो, कोलकाता। पश्चिम बंगाल के सारधा चिट फंड घोटाला मामले में पुलिस एक्टिव मोड में है। पुलिस ने नेता प्रतिपक्ष सुवेंदु अधिकारी के भाई सौमेंदु अधिकारी को समन भेजा है। पुलिस ने उन्हें पूछताछ के लिए बुलाया है। सौमेंदु को मेदिनीपुर जिले के कांथी थाने में उपस्थित होने के लिए कहा गया है।

फाइलें गायब होने के संबंध में समन

बताया जा रहा है कि सौमेंदु को कांथी नगर पालिका से चिटफंड मामले से संबंधित कुछ फाइलों के गायब होने के संबंध में तलब किया गया है। आरोप है कि जब फाइलें गायब हुई थी, तब सौमेंदु टीएमसी की टिकट पर नगर पालिका के निर्वाचित अध्यक्ष थे।

तीसरी बार पुछताछ के लिए बुलाया

सौमेंदु को तीसरी बार पूछताछ के लिए बुलाया गया है। वह पिछले दो मौकों पर भी पूछताछ के लिए पेश हुए थे।

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समन पर क्या बोले सौमेंदु अधिकारी?

समन मिलने के बाद सौमेंदु ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि छह महीने के अंतराल के बाद अनावश्यक रूप से फिर से बुलाया गया है, चूंकि इस मामले में पुलिस के साथ सहयोग करने का अदालत का आदेश है, इसीलिए मैं निश्चित रूप से पुलिस के नोटिस का सम्मान करूंगा और सहयोग करूंगा।

मेरा कार्यकाल समाप्त होने के बाद लगातार दो अध्यक्ष बने, लेकिन मैं अकेला हूं जिसे निशाना बनाया जा रहा है।

क्या है मामला?

बता दें कि सारधा समूह के संस्थापक-अध्यक्ष सुदीप्त सेन इस समय न्यायिक हिरासत में हैं। सुदीप्त ने आवास परियोजना स्थापित करने के इरादे से कांथी नगर पालिका से जमीन का एक भूखंड खरीदा था, लेकिन परियोजना शुरू होने से पहले सेन को गिरफ्तार कर लिया गया और हिरासत में भेज दिया गया। बाद में, उसी भूमि का उपयोग नगर पालिका द्वारा डंपिंग ग्राउंड के रूप में किया गया।

ग्रामीण नागरिक निकाय और सारधा समूह के बीच समझौते पर जब हस्ताक्षर किए गए थे, उस वक्त सौमेंदु अधिकारी नगर पालिका के अध्यक्ष नहीं थे, लेकिन यह आरोप लगाया गया था कि अध्यक्ष के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान उस भूमि हस्तांतरण समझौते से संबंधित महत्वपूर्ण फाइलें गायब हो गईं। सौमेंदु अधिकारी ने दावा किया कि उन्हें बार-बार समन भेजा जाना राजनीतिक प्रतिशोध की कार्रवाई है।

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