बीएसएफ का दावा, दक्षिण बंगाल सीमा से बांग्लादेश में मवेशियों की तस्करी पूरी तरह से रूकी
इस साल दक्षिण बंगाल की सीमा से बांग्लादेश में अबतक पशु तस्करी की एक भी घटना नहीं हुई है। साल 2014 में मोदी सरकार ने कहा था कि इस अपराध को किसी भी कीमत पर रोका जाए जिसके बाद ऐसा पहली बार हुआ है।
By Vijay KumarEdited By: Updated: Thu, 17 Jun 2021 06:40 PM (IST)
राज्य ब्यूरो, कोलकाता : इस साल दक्षिण बंगाल की सीमा से बांग्लादेश में अबतक पशु तस्करी की एक भी घटना नहीं हुई है। साल 2014 में मोदी सरकार ने कहा था कि इस अपराध को किसी भी कीमत पर रोका जाए जिसके बाद ऐसा पहली बार हुआ है।भारत- बांग्लादेश की 4,069 किलोमीटर लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा में से सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) की कोलकाता स्थित दक्षिण बंगाल फ्रंटियर पर 913.32 किलोमीटर की इस सीमा की रखवाली का दायित्व है।
उसने आधिकारिक आंकड़ों में दावा किया है कि मई 2021 तक इस सीमा से पशु तस्करी की कोई घटना नहीं हुई है। दरअसल, बांग्लादेश में होने वाली कुल पशु तस्करी का 75 फीसद इसी सीमा से होती थी, जिसके लिए यह कुख्यात रहा है।इस सीमा में बंगाल के पांच सरहदी जिले-उत्तर 24 परगना, दक्षिण 24 परगना, नादिया, मुर्शिदाबाद और मालदा आते हैं और इसके सिर्फ 405 किलोमीटर या 44.34 फीसद सीमा पर ही बांड़ लगाई गई है जबकि बड़े हिस्से में नदियां हैं और अंतरराष्ट्रीय सीमा पर कुछ स्थानों पर गांव हैं। ऐसे में इसकी सुरक्षा और चुनौतीपूर्ण हो जाती है। बीएसएफ की एक रिपोर्ट के मुताबिक साल 2019 के बाद से इस सीमा से पशु तस्करी के जुर्म को ‘काफी’ हद तक नियंत्रित किया गया है।
अधिकारियों का दावा है कि पशु तस्करी में अभूतपूर्व गिरावट के साथ यह अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई है। गौरतलब है कि तत्कालीन केंद्रीय गृह मंत्री और मौजूदा रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एक दिसंबर 2014 को बीएसएफ के 49वें स्थापना दिवस के मौके पर बल से कहा था कि उसे 'किसी भी कीमत पर इस सीमा पर गायों और मवेशियों की तस्करी को रोकना चाहिए।'
पशुओं की जब्ती में लगातार गिरावट
इधर, आंकड़ों के मुताबिक, पशुओं की जब्ती की संख्या में लगातार गिरावट आ रही है। इस साल मई तक बीएसएफ कर्मियों ने इस सीमा से 710 पशुओं को जब्त किया है जबकि 2017 में 51,443, 2018 में 38,657, 2019 में 29,720 और पिछले साल 5445 पशुओं को जब्त किया गया था। रिपोर्ट में बताया गया है कि इस साल मई तक इस सीमा से एक भी मवेशी बांग्लादेश नहीं पहुंचा है।
तस्करी बंद होने से बांग्लादेश में मवेशियों की सरकारी नीलामी बंद हुई
रिपोर्ट कहती है कि पशु तस्करी बंद होने से इस अंतरराष्ट्रीय सीमा क्षेत्र से लगे बांग्लादेश के सभी पशु कॉरिडोर बंद हो गए हैं। इस वजह से यशोर, कुस्तिया और राजशाही जैसे बांग्लादेशी गलियारों में अप्रैल 2020 से ही मवेशियों की कोई सरकारी नीलामी नहीं हुई है।बांग्लादेश में चमड़ा, बीफ और चीनी मिट्टी उद्योग को भारी नुकसानरिपोर्ट में कहा गया है कि मवेशियों की तस्करी में भारी कमी के कारण बांग्लादेश में चमड़ा, बीफ और चीनी मिट्टी के सामान बनाने वाले उद्योग को 'बहुत नुकसान' हुआ है तथा वहां की सरकार ने अब किसानों और अन्य पशुपालकों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए स्थानीय पशुपालन को बढ़ावा दिया है।
मवेशियों की तस्करी को शून्य पर लेकर आ गए हैं : बीएसएफ आइजीइधर, फ्रंटियर के महानिरीक्षक (आइजी) अश्विनी कुमार सिंह से जब मवेशियों की तस्करी में गिरावट की प्रमाणिकता के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि आंकड़े विश्वसनीय हैं। उन्होंने कहा, “हमारे अधिकार क्षेत्र में इतनी लंबी सीमा है और हो सकता है कि 2-4 मवेशी बिना किसी की नजर में आए (बांग्लादेश ) चले गए हों, लेकिन मैं गारंटी दे सकता हूं कि सीमा पार के पशु तस्करों में से कोई भी इस साल सफल नहीं हुआ है।”
सिंह ने कहा कि वे मवेशियों की तस्करी को शून्य पर लेकर आए हैं जबकि इस सीमा से पिछले कुछ सालों में बांग्लादेश में कुल 75 फीसद पशु तस्करी हो रही थी।सिंह ने कहा, “मैंने अपने जवानों से कहा कि हम यहां इस अपराध को रोकने के लिए हैं और हमें इसे पूरी तरह से रोकने की जरूरत है। उन्होंने कड़ी मेहनत की।”प्रभावी तरीके से की गई रखवाली की वजह से पशु तस्करी को पूरी तरह रोक दिया गया : डीआइजी
बीएसएफ दक्षिण बंगाल के उप महानिरीक्षक (डीआइजी) सुरजीत सिंह गुलेरिया कहते हैं, “सीमा की प्रभावी तरीके से की गई रखवाली की वजह से इस सीमा से बांग्लादेश में पशु तस्करी को पूरी तरह से रोक दिया गया है जो पिछले चार दशकों से हो रही थी।” इधर, गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि भारत-बांग्लादेश सीमा पर मवेशी तस्करी के आंकड़े 2019 की शुरुआत से काफी कम हो गए हैं, लेकिन यह सुनिश्चित करने के लिए 'कार्य प्रगति पर है' कि संख्या को शेष बंगाल, असम, मेघालय और त्रिपुरा जैसे अन्य क्षेत्रों में शून्य पर लाया जाए। आधिकारिक रिकॉर्ड बताते हैं कि 2020 में बांग्लादेश सीमा से कुल 46,809 मवेशियों को जब्त किया गया था, जबकि इस साल मई तक इनकी संख्या 9,434 है।
मवेशियों के पुनर्वास में बीएसएफ की मदद कर रही ध्यान फाउंडेशनयहां बताना आवश्यक है कि ध्यान फाउंडेशन एकमात्र ऐसी संस्था है जो भारत-बांग्लादेश सीमा पर तस्करी से बचाए गायों व मवेशियों के पुनर्वास में बीएसएफ की पूरी मदद कर रही है। बंगाल समेत असम, त्रिपुरा, मेघालय जैसे राज्यों में भारत-बांग्लादेश सीमा पर बीएसएफ द्वारा जो भी मवेशी को जब्त किया जाता है उसको ध्यान फाउंडेशन एकत्रित कर अपने खर्चे पर ट्रकों से झारखंड व अन्य स्थानों पर स्थित अपने गौशालाओं में ले जाने व रखने का प्रबंध करती है। इस कार्य के लिए बीएसएफ की ओर से ध्यान फाउंडेशन को प्रशंसा पत्र भी दिया जा चुका है। कोलकाता में बीएसएफ के दक्षिण बंगाल फ्रंटियर के डीआइजी सुरजीत सिंह गुलेरिया की ओर से साल 2019 में ध्यान फाउंडेशन को प्रशंसा पत्र दिया गया था।
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