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'लक्ष्मण रेखा पार न करें और न करने दें', राज्यपाल सी वी आनंद बोस की ममता बनर्जी सरकार को सलाह; क्या है मामला?

पश्चिम बंगाल में ममता सरकार और राज्यपाल सी वी आनंद बोस के बीच तनातनी का दौर जारी है। बोस ने ममता बनर्जी पर निशाना साधते हुए कहा कि हर किसी को अपने दायरे में रहना चाहिए। हर किसी की एक लक्ष्मण रेखा है। इसे न ही पार करना चाहिए और न ही किसी दूसरे के लिए लक्ष्मण रेखा’ खींचने की कोशिश करनी चाहिए। यही सहकारी संघवाद की भावना है।

By AgencyEdited By: Nidhi AvinashUpdated: Tue, 29 Aug 2023 04:05 PM (IST)
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राज्यपाल सी वी आनंद बोस की ममता बनर्जी सरकार को सलाह (Image: ANI)
कोलकाता, एजेंसी। पश्चिम बंगाल में ममता सरकार और राज्यपाल के बीच तनातनी का दौर जारी है। समाचार एजेंसी PTI से विशेष साक्षात्कार में बंगाल के राज्यपाल सी वी आनंद बोस ने मंगलवार को कहा कि वह राज्य सरकार के साथ हमेशा सहयोग करेंगे, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि वह उसके 'हर काम में' सहयोग करेंगे।

बोस ने कहा कि 'लोकतंत्र में राज्य के सामने मुख्य चेहरा राज्यपाल का नहीं बल्कि मुख्यमंत्री का होता है, लेकिन हर एक को अपनी लक्षमण रेखा के संवैधानिक प्रावधानों के दायरे में रहना चाहिए। राज्यपाल के रूप में, मैं (राज्य) सरकार के साथ सहयोग करूंगा कि वह क्या करती है, न कि जो भी वह करती है।'

'लक्ष्मण रेखा’ पार नहीं करना चाहिए

बोस ने ममता बनर्जी पर निशाना साधते हुए कहा कि हर किसी को अपने दायरे में रहना चाहिए। हर किसी की एक लक्ष्मण रेखा है। इसे न ही पार करना चाहिए और न ही किसी दूसरे के लिए 'लक्ष्मण रेखा’ खींचने की कोशिश करनी चाहिए। यही सहकारी संघवाद की भावना है।

बोस और बनर्जी सरकार की खींचतान सोमवार से शुरू हुई, जब राज्य मुख्यमंत्री ने राज्यपाल बोस पर संवैधानिक मानदंडों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया। ममता बनर्जी ने चेतावनी देते हुए कहा था कि,' चुनी हुई सरकार के साथ 'पंगा' न लें। मैं अध्यक्ष का सम्मान करती हूं, लेकिन एक एक व्यक्ति के रूप में उनका सम्मान नहीं कर सकती क्योंकि वह संविधान की अवहेलना कर रहे हैं। वह अपने दोस्तों को विश्वविद्यालयों के कुलपति के रूप में नियुक्त कर रहे हैं।'

बनर्जी के आरोप पर बोस का पलटवार

बनर्जी के इस आरोप का जवाब देते हुए बोस ने कहा कि मैंने एक पूर्व मुख्य न्यायाधीश और एक सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी को उनकी योग्यता के कारण कार्यवाहक वीसी के रूप में नियुक्त किया है और किसी को भी अंतरिम कुलपति के रूप में नियुक्त किया जा सकता है।

कलकत्ता उच्च न्यायालय के फैसले का जिक्र करते हुए राज्यपाल बोस ने कहा, 'कुलपतियों की नियुक्ति पर, राज्यपाल को राज्य सरकार से परामर्श करने की आवश्यकता है, लेकिन उन्होंने यह भी कहा है कि उन्हें कुलपतियों की नियुक्ति में राज्य की सहमति की आवश्यकता नहीं है।

जादवपुर विश्वविद्यालय रैगिंग मामले में क्या बोले बोस

जादवपुर विश्वविद्यालय रैगिंग मामले में राज्यपाल बोस ने कहा, 'हमारे विश्वविद्यालयों का अत्यधिक राजनीतिकरण हो गया है। राजनीतिक दलों के लिए विश्वविद्यालयों को नियंत्रित करने की इच्छा रखना स्वाभाविक है लेकिन हमें हमारी शैक्षणिक प्रणाली की कुछ शुचिता बनाए रखने की जरूरत है। बोस ने कहा कि विश्वविद्यालय भी गुंडागर्दी के शिकार हैं जो बाहरी लोग परिसर में लाए हैं। इसलिए बाहरी तत्वों की मौजूदगी पर नजर रखने की आवश्यकता है।'

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