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West Bengal: हाई कोर्ट ने सरकारी दस्तावेजों में पीड़ित नाबालिग के नाम का जिक्र नहीं करने का दिया निर्देश

West Bengal कलकत्ता उच्च न्यायालय ने पाक्सो मामले में अपने आदेश में कहा है कि चार्जशीट हो या एफआइआर या फिर शारीरिक जांच रिपोर्ट किसी में भी नाबालिग पीड़िता के नाम का खुलासा नहीं किया जा सकता है।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Updated: Fri, 24 Dec 2021 07:45 PM (IST)
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सरकारी दस्तावेजों में पीड़ित नाबालिग के नाम का जिक्र नहीं करने का कोर्ट का निर्देश। फाइल फोटो
कोलकाता, राज्य ब्यूरो। चार्जशीट हो या एफआइआर या फिर शारीरिक जांच रिपोर्ट किसी में भी नाबालिग पीड़िता के नाम का खुलासा नहीं किया जा सकता। कलकत्ता उच्च न्यायालय ने 2014 में (सौतेले बाप द्वारा किशोरी का यौन शोषण) हुए पाक्सो मामले में फैसला सुनाते हुए यह आदेश जारी किया है। यह आदेश न्यायमूर्ति विवेक चौधरी की एकल पीठ ने गुरुवार दिया है। कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के निर्धारित दिशा-निर्देशों में 11 अतिरिक्त नियम जोड़ने का भी निर्देश दिया है। इनमें प्रमुख निर्देश निम्न प्रकार हैं। इसके तहत एकल पीठ ने निर्देश देते हुए कहा कि प्रत्येक थाने के प्रभारी को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि किसी मामले में जांच के दौरान पीड़िता की उम्र, उसके पिता के नाम के अलावा प्रासंगिक मुद्दे उसकी पहचान करने के लिए पर्याप्त हैं। जांच अधिकारी पीड़िता का नाम एफआइआर या चार्जशीट में भी नहीं बता पाएंगे। मामले की चार्जशीट में गवाहों के लिए आवंटित कालम में पीड़िता के रूप में उल्लेख किया जाना चाहिए।

पीड़िता का बयान लेते समय भी उसका नाम दर्ज नहीं किया जा सकता है। उसी तरह मजिस्ट्रेट के सामने गुप्त बयान देते समय पीड़िता का नाम दर्ज नहीं किया जा सकता है। पीड़िता के दिए गए बयानों के कागज पर हस्ताक्षर और अंगुठे का निशान लगाते समय मजिस्ट्रेटों को भी सावधान रहना होगा। उन्हें यह पढ़ना होगा कि बयान में क्या लिखा है। विशेष न्यायालय के मामले से संबंधित दस्तावेज को बंद लिफाफे में रखना चाहिए। मामले के फैसले के दस्तावेज में पीड़िता के नाम का उल्लेख नहीं किया जा सकता है। पीड़िता के शारीरिक परीक्षण दस्तावेजों या फारेंसिक रिपोर्ट में पीड़िता के नाम का उल्लेख नहीं किया जा सकता है। कलकत्ता हाई कोर्ट के अधिवक्ता हीरक सिन्हा ने पहचान के लिए पीड़िता के पिता के नाम उल्लेख करने पर कहा कि यह कानूनी प्रक्रिया के लिए जरूरी है। अदालत ने निर्देश दिया कि निर्णय के दिशानिर्देश दस्तावेज राज्य के पुलिस महानिदेशक, कोलकाता के पुलिस आयुक्त, अन्य आयुक्तालयों, राज्य के स्वास्थ्य विभाग के सचिव, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग के सचिव और राज्य के सभी पाक्सो विशेष न्यायालयों को तुरंत भेजे जाएं। 

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