कलकत्ता उच्च न्यायालय ने चुनाव प्रचार के दौरान कोविड प्रोटोकॉल का सख्ती से अनुपालन करने का दिया निर्देश
कलकत्ता उच्च न्यायालय ने कहा- कोविड प्रोटोकॉल का पालन करने में विफल रहने वाले लोगों के खिलाफ कठोर कदम उठाए जाएं। पीठ ने कहा-समाज के अन्य सदस्यों के जीवन को खतरे में डालने की अनुमति नहीं दी जा सकती है
By Priti JhaEdited By: Updated: Wed, 14 Apr 2021 09:59 AM (IST)
कोलकाता, राज्य ब्यूरो। कलकत्ता उच्च न्यायालय ने निर्देश दिया कि कोविड -19 मामलों में वृद्धि के मद्देनजर बंगाल विधानसभा चुनावों के लिए राजनीतिक दलों द्वारा चुनाव प्रचार के संबंध में सभी स्वास्थ्य संबंधी दिशा-निर्देशों को सख्त तरीके से पालन किया जाए।
इस संबंध में दो जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश टीबीएन राधाकृष्णन की अध्यक्षता वाली एक खंडपीठ ने आदेश दिया कि सभी जिला मजिस्ट्रेट यह सुनिश्चित करेंगे कि केंद्रीय निर्वाचन आयोग और मुख्य निर्वाचन अधिकारी द्वारा निर्धारित दिशा-निर्देशों को सख्ती से लागू किया जाए और यदि आवश्यक हो, पुलिस अधिकारियों की सहायता लें । अदालत ने निर्देश दिए कि कोविड प्रोटोकॉल का पालन करने में विफल रहने वाले लोगों के खिलाफ कठोर कदम उठाए जाएं। पीठ ने कहा कि समाज के अन्य सदस्यों के जीवन को खतरे में डालने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। अदालत ने निर्देश दिया कि यदि प्रशासन को पता चलता है कि कोई व्यक्ति, चाहे वह चुनाव प्रचार में व्यस्त हो या कोविड प्रोटोकॉल की धज्जियां उड़ा रहा हो, ऐसे व्यक्ति खिलाफ कठोर कदम उठाए जाएं।
पीठ ने निर्देश दिया कि सभी समारोहों में मास्क पहनना अनिवार्य किया जाना चाहिए, सैनिटाइटजरों को उदारतापूर्वक उपलब्ध कराया जाना चाहिए और सुरक्षित दूरी मानदंडों का पालन किया जाना चाहिए। अदालत ने मुख्य निर्वाचन अधिकारी, पश्चिम बंगाल को निर्देश दिया कि 19 अप्रैल तक दिशा-निर्देशों के कार्यान्वयन के लिए किए गए उपायों पर एक हलफनामे के रूप में एक रिपोर्ट जमा करें।
जनहित याचिकाओं में चिंता व्यक्त की गई कि चल रहे चुनाव अभियानों में भाग लेने वाले लोग कोविड दिशा-निर्देशों का पालन नहीं कर रहे हैं और इससे राज्य में कोरोनावायरस मामलों में एक गंभीर वृद्धि हो सकती है। याचिकाकर्ताओं में से एक के लिए वकील अरिंदम दास ने कहा कि चुनाव आयोग को कोविड दिशा-निर्देशों के सख्त प्रवर्तन के लिए सभी आवश्यक कदम उठाने चाहिए। चुनाव आयोग के वकील ने कहा कि यदि आवश्यक समझा जाता है तो अदालत आगे के निर्देश जारी कर सकती है।
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