कलकत्ता हाई कोर्ट ने PSC की वर्तमान स्थिति पर जताया अफसोस, कहा- आंखों के सामने एक सिस्टम हो गया खराब
कलकत्ता हाई कोर्ट (Calcutta High Court) के न्यायाधीश अभिजीत गंगोपाध्याय ने पश्चिम बंगाल पब्लिक सर्विस कमीशन (पीएससी) की वर्तमान स्थिति पर अफसोस जताया है। उन्होंने कहा कि पीएससी की हालत देखकर उन्हें बहुत बुरा लगता है। बता दें कि पीसीएस के जरिए नियुक्ति मामले में अनियमितताओं के आरोप हैं। उन्होंने कहा कि आंखों के सामने एक सिस्टम खराब हो गया।
राज्य ब्यूरो, कोलकाता। कलकत्ता हाई कोर्ट के न्यायाधीश अभिजीत गंगोपाध्याय ने पश्चिम बंगाल पब्लिक सर्विस कमीशन (पीएससी) की वर्तमान स्थिति पर अफसोस जताया है। उन्होंने कहा कि पीएससी की हालत देखकर उन्हें बहुत बुरा लगता है।
पीएससी के नियुक्ति में अनियमितता के आरोप
उल्लेखनीय है कि पीएससी के जरिए नियुक्ति मामले में अनियमितताओं के आरोप हैं। इससे जुड़े एक मामले पर सुनवाई करते हुए न्यायाधीश गंगोपाध्याय ने कहा कि पीएससी की हालत देखकर बहुत खराब लग रहा है। आंखों के सामने एक सिस्टम खराब हो गया।
न्यायाधीश ने जताया अफसोस
उन्होंने कहा, मुझे भी एक समय पीएससी के माध्यम से परीक्षा देकर सरकारी नौकरी मिली थी। मैंने दो सरकारी नौकरियां की हैं लेकिन इसके लिए किसी को कुछ देना नहीं पड़ा। तब बेहद स्वच्छता थी। न्यायाधीश गंगोपाध्याय ने कहा कि पीएससी में अब 28 नंबर 82 नंबर हो गए हैं। क्या ऐसा सोचा जा सकता है?
सुप्रीम कोर्ट के स्थगनादेश पर जताई निराशा
न्यायाधीश गंगोपाध्याय ने शिक्षक नियुक्ति मामले से जुड़े उनके एक आदेश पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा स्थगनादेश लगाए जाने पर निराशा जाहिर करते हुए कहा, अगर मेरे हाथों को बांध दिया जाए तो मैं कुछ नहीं कर सकता हूं। बहुत ज्यादा होने पर मैं सुप्रीम कोर्ट के समक्ष कोई अनुरोध कर सकता हूं।
सीबीआई को पूछताछ का मिला था निर्देश
उल्लेखनीय है कि कुछ दिन पहले न्यायाधीश गंगोपाध्याय ने सीबीआई को शिक्षक भर्ती घोटाले में गिरफ्तार तृणमूल कांग्रेस विधायक व पश्चिम बंगाल प्राथमिक शिक्षा बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष मानिक भट्टाचार्य से जेल में जाकर पूछताछ करने का निर्देश दिया था। मानिक ने न्यायाधीश गंगोपाध्याय के इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, जिसपर सुप्रीम कोर्ट की ओर से स्थगनादेश लगा दिया गया है।
न्यायाधीश गंगोपाध्याय ने कहा कि जो लोग रिश्वत देकर नौकरी कर रहे हैं। उनके इस बात को स्वीकार करने पर भी स्थगनादेश समझ में नहीं आ रहा है।