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RG Kar Doctors Case: डॉक्टर रेप-मर्डर केस में कलकत्ता हाईकोर्ट ने सुनाया बड़ा आदेश, CBI करेगी मामले की जांच

Kolkata Doctor Rape Murder Case कलकत्ता हाई कोर्ट ने महिला चिकित्सक हत्याकांड की सीबीआइ जांच के आदेश दे दिए है। बता दें कि राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को कहा था कि अगर पुलिस रविवार तक मामला सुलझाने में विफल रही तो इसकी जांच सीबीआइ को सौंप दी जाएगी। इस सिलसिले में शनिवार को एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया है।

By Jagran News Edited By: Nidhi Avinash Updated: Tue, 13 Aug 2024 07:52 PM (IST)
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डॉक्टर रेप-मर्डर केस में कलकत्ता हाईकोर्ट का बड़ा फैसला (Image: ANI)
राज्य ब्यूरो, कोलकाता। कलकत्ता हाई कोर्ट ने मंगलवार को प्रशिक्षु महिला चिकित्सक से दुष्कर्म और उसकी हत्या के मामले में जांच मंगलवार को सीबीआइ को हस्तांतरित करने का आदेश दिया। कोर्ट ने कहा कि वह इस घटना में अस्पताल व पुलिस की भूमिका से संतुष्ट नहीं है। वहीं आंदोलन कर रहे चिकित्सकों ने कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है।

CBI को सौंपी गई जांच

बता दें कि राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को कहा था कि अगर पुलिस रविवार तक मामला सुलझाने में विफल रही तो इसकी जांच सीबीआइ को सौंप दी जाएगी। गौरतलब है कि कोलकाता के सरकारी आरजी कर अस्पताल के सेमिनार हाल में स्नातकोत्तर प्रशिक्षु चिकित्सक का शव शुक्रवार सुबह बरामद किया गया था। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में दुष्कर्म के बाद हत्या की पुष्टि की गई है। इस सिलसिले में शनिवार को एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया है, कोलकाता पुलिस का नागरिक स्वयंसेवक है।

जांच में पाई गई कमी

स्नातकोत्तर प्रशिक्षु चिकित्सक के माता-पिता ने अदालत की निगरानी में मामले की जांच के अनुरोध के साथ उच्च न्यायालय का रुख किया था। उच्च न्यायालय में कुछ जनहित याचिकाएं भी दाखिल की गई थींं, जिनमें मामले की सीबीआइ से कराने का अनुरोध किया गया था। याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवगणनम और न्यायमूर्ति हिरण्मय भट्टाचार्य की खंडपीठ ने पाया कि जांच में कुछ कमी है।

घटना के पांच दिनों के बाद भी नहीं निकला निष्कर्ष

मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने अदालत की निगरानी में केंद्रीय एजेंसी को मामले की जांच सौंपते हुए निर्भया मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला दिया और कहा कि दुर्लभ मामलों में निष्पक्ष और सही जांच के लिए यह जरूरी है। कोर्ट ने कहा कि हमने पुलिस को समय दिया होता, लेकिन घटना के पांच दिनों के बाद भी कोई महत्वपूर्ण निष्कर्ष नहीं निकला है।

इस बात की पूरी संभावना है कि सबूत नष्ट कर दिए जाएंगे। इस लिए सीबीआइ जांच के आदेश दिए गए। कोर्ट ने इस मामले में राज्य सरकार से तीन सप्ताह के भीतर प्रगति रिपोर्ट मांगी है। अदालत ने कोलकाता पुलिस को केस डायरी और अन्य सभी दस्तावेज सौंपने का निर्देश दिया है।

प्रिंसिपल ने इस्तीफा क्यों दिया, यह समझना मुश्किल

खंडपीठ ने घटना के बाद मेडिकल कालेज के तत्कालीन प्रिंसिपल डा संदीप कुमार घोष के इस्तीफे और दूसरे कालेज में उनकी नियुक्ति पर भी सवाल उठाए। कोर्ट ने कहा कि यह जानकर दुख होता है कि घटना को लेकर अस्पताल प्रशासन और तत्कालीन प्रिंसिपल संदीप कुमार घोष सक्रिय नहीं थे। प्रिंसिपल ने अपना इस्तीफा दे दिया, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि उनके इस्तीफे पर क्या आदेश जारी किए गए थे। बल्कि इस्तीफे के 12 घंटे के भीतर उन्हें कोलकाता के नेशनल मेडिकल कालेज का प्रिंसिपल बना दिया गया।

प्रिंसिपल बनाने की क्या जल्दी थी?

यह समझना मुश्किल है कि उन्होंने इस्तीफा क्यों दिया और दूसरे मेडिकल कालेज का प्रिंसिपल बनाने की क्या जल्दी थी। कोर्ट ने सरकार से यह भी पूछा कि उनसे अब तक पूछताछ क्यों नहीं की गई है। हाई कोर्ट ने डा संदीप कुमार घोष को छुट्टी पर जाने का आदेश दिया है और कहा कि अगले आदेश तक उन्हें नेशनल मेडिकल कालेज में बहाल नहीं किया जा सकेगा। इसके अलावा उच्च न्यायालय ने राज्य में आंदोलन कर रहे चिकित्सकों से हड़ताल समाप्त करने की भी अपील की और कहा कि उनके ऊपर पवित्र दायित्व है।

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