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325 रुपये के जूते के लिए सात सालों से चल रहा मुकदमा, बंगाल के एक कोर्ट में दर्ज है मामला

मामले की शुरुआत 23 अगस्त 2015 बद्र्धमान जिले गोपालबाड़ी में कवि सम्मेलन से हुई थी। उस कार्यक्रम में उप प्रधान सिद्धेश्वर आचार्य व कवि मनोरंजन साहा दोनों ही हाजिर थे लेकिन कवि सम्मेलन के बाद मनोरंजन साहा ने देखा कि उनका जूता गायब हो गया है।

By Jagran NewsEdited By: Ashisha Singh RajputUpdated: Mon, 16 Jan 2023 07:52 PM (IST)
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एक कवि ने कोर्ट में उप प्रधान के खिलाफ जूता चुराने का किया है मामला
कोलकाता, राज्य ब्यूरो। बंगाल के एक कोर्ट में एक दिलचस्प मामला चल रहा है। 325 रुपये के जूते के लिए पिछले सात सालों से कोर्ट में मामला चल रहा है। कवि मनोरंजन साहा ने कोर्ट में उप प्रधान सिद्धेश्वर आचार्य के खिलाफ मामला दायर करते हुए दावा किया था कि बद्र्धमान में कवि सम्मेलन के दौरान उनका जूता गायब हो गया था और वह जूता उप प्रधान ने लिया था। इसे लेकर पिछले सात सालों से मामला चल रहा है।

कब हुई थी मामले की शुरुआत

मामले की शुरुआत 23 अगस्त 2015 बद्र्धमान जिले गोपालबाड़ी में कवि सम्मेलन से हुई थी। उस कार्यक्रम में उप प्रधान सिद्धेश्वर आचार्य व कवि मनोरंजन साहा दोनों ही हाजिर थे, लेकिन कवि सम्मेलन के बाद मनोरंजन साहा ने देखा कि उनका जूता गायब हो गया है और उन्हें नंगे पाव घर वापस लौटना पड़ा। जूता खोने के दो दिनों के बाद उन्होंने सिद्धेश्वर आचार्य को कलना बस स्टैंड के पास वही जूता पहने देखा।

मनोरंजन साहा का दावा

मनोरंजन साहा ने दावा किया कि यह जूता उनका है और उन्होंने अपने जूते की मांग की, लेकिन सिद्धेश्वर आचार्य ने जूता देने से इन्कार करते हुए कहा कि यह जूता उनका नहीं है और इसी को लेकर दोनों के बीच जमकर मारपीट भी हुई। बाद में लोगों के हस्तक्षेप के बाद मामला शांत हुआ। बाद में मनोरंजन साहा ने इंटरनेट मीडिया पर जूते को लेकर काफी प्रचार किया और जूते की चोरी को लेकर शायरी भी लिखी, जो काफी वायरल हुई थी।

जूते की चोरी की शिकायत

मनोरंजन साहा इतने में ही शांत नहीं हुए। उन्होंने जूते की चोरी की शिकायत कालना थाना में दर्ज कराई और अपना जूता वापस करने की गुहार लगाई। थानेदार में दोनों को बुलाकर मामला सुलझाने की कोशिश की, लेकिन मामला सुलझने की जगह और भी उलझ गया। जब मामला और भी उलझ गया तो मनोरंजन साहा ने स्थानीय कोर्ट में केस दायर कर दिया और यह मामला पिछले सात सालों से विचाराधीन है।

सिद्धेश्वर आचार्य के वकील गौतम मलिक का कहना है कि हालांकि प्राथमिक तौर पर यह मामला जूतों का है, लेकिन यह अब मानहानि का मामला बन गया है। इस मामले में दोषियों को जुर्माना या कारावास या दोनों से दंडित किया जा सकता है। वहीं कवि मनोरंजन साहा के वकील पिनाकी राय ने कहा कि यदि उनके मुवक्किलव जीतते हैं, तो उन्हें हर्जाना मिल सकता है।

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