Narada Sting Operation Case: नारद स्टिंग मामले में मुख्यमंत्री व कानून मंत्री के हलफनामे पर सीबीआइ ने जताया एतराज
सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इसे दाखिल किए जाने पर सख्त एतराज जताया। इसके जवाब में एडवोकेट राकेश द्विवेदी ने कहा कि हाई कोर्ट के कुछ अपने नियम होते हैं। एडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी ने सीबीआइ को विशेष तरजीह देने पर सवाल उठाया।
By Priti JhaEdited By: Updated: Fri, 11 Jun 2021 08:24 AM (IST)
राज्य ब्यूरो, कोलकाता। नारद स्टिंग ऑपरेशन मामले में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और कानून मंत्री मलय घटक की तरफ से बड़ी पीठ के समक्ष दाखिल किए गए हलफनामे पर पुरजोर बहस हुई। सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इसे दाखिल किए जाने पर सख्त एतराज जताया। इसके जवाब में एडवोकेट राकेश द्विवेदी ने कहा कि हाई कोर्ट के कुछ अपने नियम होते हैं। एडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी ने सीबीआइ को विशेष तरजीह देने पर सवाल उठाया। एक्टिंग चीफ जस्टिस राजेश बिंदल, जस्टिस आइपी मुखर्जी, जस्टिस हरीश टंडन, जस्टिस सौमेन सेन और जस्टिस अरिजीत बनर्जी की बड़ी पीठ चार हेवीवेट नेताओं की जमानत याचिका पर सुनवाई कर रही है।
इस मामले की सुनवाई के बाबत जानकारी देते हुए एडवोकेट अमृता पांडे ने बताया कि जब एडवोकेट राकेश द्विवेदी ने मुख्यमंत्री और कानून मंत्री के पक्ष में एफिडेविट दाखिल किया तो सालिसिटर जनरल ने कहा कि उनकी बहस पूरी करने के बाद इसे क्यों दाखिल किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि बचाव पक्ष अपनी बहस पूरी कर ले और जब कोर्ट अपना फैसला आरक्षित कर ले तब वे इसे दाखिल करें। एडवोकेट द्विवेदी ने कहा कि सीबीआइ जब चाहे एफिडेविट दाखिल कर दे और हमें चार दिनों का समय भी नहीं दिया जाए यह कौन सा कानून है। बीच में दखल देते हुए एडवोकेट जनरल किशोर दत्त ने कहा कि हाई कोर्ट के कुछ अपने नियम हैं और उसमें ऐसी कोई रोक नहीं है। सालिसिटर जनरल अपनी सुविधा के अनुसार इसे बदल नहीं सकते हैं।
एडवोकेट द्विवेदी ने कहा कि अगर इस हलफनामे की अनदेखी की जाती है तो यह न्याय नहीं होगा। बेंच ने एडवोकेट सिंघवी से कहा कि वे अपनी बहस जारी रखे और इस विवादास्पद मुद्दे पर बाद में देखा जाएगा। एडवोकेट सिंघवी ने सीबीआइ की अपील पर सवाल उठाते हुए कहा कि अगर किसी आम आदमी ने इस तरह की अपील दायर की होती तो कोर्ट ने उसे खारिज कर दिया होता। पर सीबीआइ को इस मौके पर खास अहमियत दी गई।
उन्होंने कहा कि सीबीआइ के ई-मेल और व्हाट्सऐप मैसेज पर अपील दायर हो गई। एडवोकेट सिंघवी ने कहा कि पत्र देकर तो पीआइऐल दायर की जा सकती है पर 407 की नोटिस नहीं दी जा सकती है। इसके अलावा 226 में भी पिटिशन की कापी दिए बगैर अंतरिम आदेश नहीं दिया जा सकता है। उन्होंने कहा कि इसके बावजूद सीबीआइ हमें कानून पढ़ा रही है, यह कुछ ऐसा ही है जैसे तवा मवेशी को कहे कि तू काला है। इसके साथ ही कहा कि 407 के लिए यह साबित करना पड़ेगा कि भारी दखलंदाजी के माहौल में फैसला सुनाया गया था।
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