Clash In Howrah: भारत माता की पूजा को लेकर पुलिस व भाजपा कार्यकर्ताओं में झड़प
Clash In Howrah. हावड़ा में पुलिसकर्मियों और भाजपा युवा विंग के कार्यकर्ताओं के बीच झड़प के बाद पुलिस ने उन्हें भारत माता की पूजा करने से रोक दिया।
By Sachin Kumar MishraEdited By: Updated: Sun, 26 Jan 2020 06:07 PM (IST)
कोलकाता, एएनआइ। Clash In Howrah. गणतंत्र दिवस पर पश्चिम बंगाल के हावड़ा में रविवार को पुलिसकर्मियों और भाजपा युवा विंग के कार्यकर्ताओं के बीच झड़प के बाद पुलिस ने उन्हें भारत माता की पूजा करने से रोक दिया।
भाजपा के आयोजन में बाधा डालने का आरोप
गणतंत्र दिवस के मौके पर प्रत्येक थाने के समक्ष ‘भारत माता’ की पूजा करने की भाजपा की योजना को लेकर पुलिस पर गतिरोध उत्पन्न करने का आरोप भाजपा ने लगाया है।पार्टी का कहना है कि 26 जनवरी के दिन पार्टी की ओर से शहर के तमाम थानों के समक्ष ‘भारत माता’ की प्रतिमा रखकर पूजा-अर्चना करने की योजना थी। इस संबंध में तमाम थानों को चिट्ठी भेजकर अनुमति मांगी गई थी। आरोप है कि इस मामले में पुलिस प्रशासन की ओर से सहयोग करने के स्थान पर इस कार्यक्रम को रोकने की कोशिश की जा रही है।
भाजपा नेताओं का कहना है कि पुलिस की ओर से प्रतिमा बनाने वाले को चेतावनी दी गई है कि वह प्रतिमा की आपूर्ति ना करे। इस बाबत जिला भाजयुमो के अध्यक्ष ओम प्रकाश सिंह ने कहा कि यह पुलिस का अलोकतांत्रिक चेहरा है।हिंसक घटनाएं चिंताजनकगौरतलब है कि राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर एक बार फिर ममता सरकार पर निशाना साधते हुए बंगाल में पिछले कुछ वर्षों में हुई हिंसक घटनाओं को चिंताजनक करार दिया था। अपने संदेश में राज्यपाल ने राजनीतिक उद्देश्यों की पूर्ति के लिए जनता का पैसा खर्च किए जाने का भी आरोप लगाया। उन्होंने केंद्र व राज्य के संबंधों का भी जिक्र करते हुए कहा कि दोनों के बीच टकराव जैसी स्थिति से विवादों व मसलों का समाधान नहीं किया जा सकेगा। धनखड़ ने कहा-'हमारे संविधान में केंद्र व राज्यों के बीच सभी तरह के मसलों व विवादों का समाधान मौजूद है। आमने-सामने की स्थिति हल नहीं है। समन्वय होना जरुरी है और हमें इस दिशा में काम करना चाहिए।'
राज्यपाल ने कहा-' हिंसा लोकतंत्र के खिलाफ है। 2020 में इसे खत्म करने की कोशिश होनी चाहिए ताकि बंगाल अपने शांतिपूर्ण माहौल के लिए जाना जाए। पिछले कुछ वर्षों में जो हिंसक घटनाएं हुई हैं, वे चिंताजनक हैं। शिक्षा के मंदिर में भी ¨हसा के लिए कोई जगह नहीं है। यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए।'बंगाल की अन्य खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
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