बंगाल में जूनियर डॉक्टरों के बीच घमासान, एक-दूसरे पर लगाए गंभीर आरोप; पढ़ें क्या है पूरा मामला
पश्चिम बंगाल में आरजी कर कांड को लेकर जूनियर डॉक्टर्स ही आपस में भिड़ गए हैं। एक ओर कुछ डॉक्टरों पर धमकाने का आरोप लगा तो उन डॉक्टरों ने एसोसिएशन बनाकर आंदोलन कर रहे डॉक्टरों पर गंभीर आरोप लगा दिए। उन्होंने डॉक्टरों पर मृतका के नाम पर 4.76 करोड़ की वसूली का भी आरोप लगाया। पढ़ें क्या है पूरा मामला।
राज्य ब्यूरो, कोलकाता। आरजी कर अस्पताल में धमकाने के आरोपी जूनियर डॉक्टरों ने अपना संगठन बनाकर आंदोलनकारी जूनियर डॉक्टरों पर गंभीर आरोप लगाए हैं। शनिवार को आंदोलनकारी जूनियर डॉक्टरों की ओर से अस्पताल में जन सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा था, उसी समय नवगठित संगठन वेस्ट बंगाल जूनियर डॉक्टर्स एसोसिएशन (डब्ल्यूबीजेडीए) ने संवाददाता सम्मेलन कर अपने सदस्यों पर लगे सभी आरोपों को नकारा।
साथ ही आरजी कर कांड को लेकर आंदोलन कर रहे जूनियर डॉक्टरों के मकसद पर सवाल उठाया। डब्ल्यूबीजेडीए की ओर से जूनियर डॉक्टर श्रीश चक्रवर्ती ने कहा, 'अन्याय हमारे साथ हो रहा है। हमने कहा था कि हड़ताल नहीं, मरीजों की सेवा करेंगे। इस कारण हमें मेडिकल कालेज में प्रवेश से रोक दिया गया। हम अदालत के निर्देश पर ड्यूटी से जुड़े। आंदोलनकारी डॉक्टर अनिकेत महतो ने मुख्यमंत्री ममता के सामने हमें बदमाश कहकर बदनाम किया।'
न्याय की आड़ में अपना हित साधा
जूनियर डॉक्टर सौरव कुमार दास ने कहा, 'मृत महिला डॉक्टर के लिए न्याय मांगने की आड़ में उन लोगों ने अपना हित साधा है। मृतका के नाम पर 4.76 करोड़ रुपये वसूले गए। क्या वे अपराधी नहीं हैं? आरजी कर कांड में मुकदमे की मांग करने वाले हम पहले व्यक्ति हैं।' एसोसिएशन ने मुख्यमंत्री से उनका पक्ष सुनने का भी अनुरोध किया। जूनियर डॉक्टर किंजल नंदा ने कहा, 'मुझे लगता है कि अब लोगों के लिए पक्ष लेने का समय आ गया है। उन्हें तय करना होगा कि वे न्याय के पक्ष में हैं या धमकी की संस्कृति के पक्ष में।'(बंगाल में आरजी कर कांड के विरोध में काफी समय से जूनियर डॉक्टर्स विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।)
दो डॉक्टरों के खिलाफ विभागीय जांच की तैयारी
बंगाल सरकार ने आरजी कर अस्पताल के वित्तीय भ्रष्टाचार के मामले में दो डॉक्टरों के खिलाफ विभागीय जांच की तैयारी शुरू कर दी है। गत नौ अक्टूबर को राज्य के मुख्य सचिव मनोज पंत व स्वास्थ्य सचिव नारायण स्वरूप निगम को लिखे पत्र में सीबीआई ने कहा था कि अस्पताल में फोरेंसिक मेडिसीन विभाग के प्रमुख देबाशीष सोम और एसोसिएट प्रोफेसर सुजाता घोष के खिलाफ अस्पताल में भ्रष्टाचार में संलिप्तता की जांच चल रही है। जांच एजेंसी ने उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई की सिफारिश की थी। बताते चलें कि अस्पताल के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष के इन दो करीबी सहयोगियों को भ्रष्टाचार और अवैध वित्तीय लेन-देन में लिप्त पाया गया है।
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