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सीएम ममता ने मानहानि मामले को दी खंडपीठ में चुनौती, वकील ने पूछा- सबूत के बिना अंतरिम रोक कैसे?

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्यपाल सीवी आनंद बोस द्वारा उनके खिलाफ दायर मानहानि मामले में कलकत्ता हाई कोर्ट की एकल पीठ के आदेश को खंडपीठ में चुनौती दी है। न्यायाधीश ने इस मामले में ममता सहित चारों तृणमूल नेताओं को 14 अगस्त तक राज्यपाल के खिलाफ सार्वजनिक रूप से कोई भी आपत्तिजनक या गलतबयानी नहीं करने का अंतरिम निर्देश दिया था।

By Jagran News Edited By: Sonu Gupta Updated: Thu, 25 Jul 2024 12:00 AM (IST)
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पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी। फाइल फोटो।
राज्य ब्यूरो, कोलकाता। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्यपाल सीवी आनंद बोस द्वारा उनके खिलाफ दायर मानहानि मामले में कलकत्ता हाई कोर्ट की एकल पीठ के आदेश को खंडपीठ में चुनौती दी है। मुख्यमंत्री के वकील सौमेंद्रनाथ मुखर्जी ने बुधवार को हाई कोर्ट की खंडपीठ में सवाल किया कि एकल पीठ ने कैसे राज्यपाल द्वारा उनके मुवक्किल के खिलाफ दायर मानहानि मुकदमे में आरोपों के पक्ष में बिना किसी सबूत के अंतरिम आदेश पारित किया।

क्या है पूरा मामला?

मालूम हो कि ममता ने कहा था कि कुछ महिलाओं ने राजभवन में जाने को लेकर उनसे डर जाहिर किया था। इस पर राज्यपाल बोस ने हाई कोर्ट में मुख्यमंत्री के विरुद्ध मानहानि का मामला दायर किया था। हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति कृष्णा राव ने पिछले दिनों को राज्यपाल बोस के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी को लेकर मुख्यमंत्री सहित अन्य तृणमूल कांग्रेस नेताओं सायंतिका बनर्जी, रेयात हुसैन सरकार व कुणाल घोष को इस प्रकार की टिप्पणियों से परहेज करने को कहा था।

कोर्ट ने सीएम सहित अन्य नेताओं को दिया था ये निर्देश

न्यायाधीश ने इस मामले में ममता सहित चारों तृणमूल नेताओं को 14 अगस्त तक राज्यपाल के खिलाफ सार्वजनिक रूप से कोई भी आपत्तिजनक या गलतबयानी नहीं करने का अंतरिम निर्देश दिया था।

जनता के हित में थी सीएम की टिप्पणीः सौमेंद्रनाथ

सौमेंद्रनाथ ने दावा किया कि राज्यपाल के प्रति उनके मुवक्किल की कोई भी टिप्पणी मानहानिकारक नहीं थी। मुख्यमंत्री ने जनता के हित में यह टिप्पणी की। एकल पीठ ने मामले को देखे बिना ही अंतरिम आदेश दे दिया। न्यायमूर्ति इंद्रप्रसन्ना मुखर्जी और न्यायमूर्ति बिस्वरूप चौधरी की खंडपीठ में बुधवार को समय की कमी के कारण सुनवाई पूरी नहीं हो सकी। विधायक सायंतिका के वकील ने तर्क दिया कि उनके मुवक्किल ने कोई मानहानिकारक टिप्पणी नहीं की।

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