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Bengal: CJI चंद्रचूड़ की सीएम ममता ने की तारीफ, कहा- न्यायपालिका को निष्पक्ष और ईमानदार होना चाहिए

ममता ने चीफ जस्टिस की तारीफ करते हुए कहा कि न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ निस्संदेह देश की न्यायपालिका में सुधार में मददगार रहे हैं। ममता ने यह भी दावा किया कि अपने स्तर पर राज्य सरकार ने न्यायिक तंत्र में सुधार के लिए लगभग एक हजार करोड़ रुपये खर्च किए हैं। बंगाल में 88 फास्ट-ट्रैक अदालतें हैं जिनमें 55 सिर्फ महिलाओं के लिए हैं। राज्य में 99 मानवाधिकार अदालतें हैं।

By Jagran News Edited By: Abhinav Atrey Updated: Sat, 29 Jun 2024 04:07 PM (IST)
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खुद को कानूनी बिरादरी का हिस्सा मानती हूं- सीएम ममता (फाइल फोटो)
राज्य ब्यूरो, जागरण, कोलकाता। बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शनिवार को कहा कि न्यायपालिका को राजनीतिक पक्षपात वाला नहीं, बल्कि पूरी तरह से निष्पक्ष, ईमानदार और पवित्र होना चाहिए। कोलकाता में नेशनल ज्यूडिशियल एकेडमी के क्षेत्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए ममता ने कहा कि मेरी एकमात्र अपील है कि देश की न्यायपालिका को पूरी तरह निष्पक्ष और ईमानदार होना चाहिए। गोपनीयता बरकरार रहनी चाहिए।

सम्मेलन में भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ और कलकत्ता उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवगणनम भी मौजूद थे। कानून की डिग्री रखने वाली सीएम ममता ने कहा कि वह भी कानूनी बिरादरी की सदस्य हैं और न्याय तंत्र उनके लिए एक पवित्र मंदिर, चर्च, मस्जिद या गुरुद्वारे की तरह है।

खुद को कानूनी बिरादरी का हिस्सा मानती हूं- ममता

उन्होंने कहा, मैं खुद को कानूनी बिरादरी का हिस्सा मानती हूं। मैं अब भी बार एसोसिएशन की सदस्य हूं। मैंने खुद कुछ मामलों की अदालत में पैरवी भी की है।

बंगाल सरकार हमेशा न्यायिक तंत्र के साथ- सीएम

ममता ने कहा कि राज्य सरकार हमेशा न्यायिक तंत्र के साथ है और कहा कि न्यायपालिका की पहली जिम्मेदारी आम लोगों की रक्षा करनी है। उन्होंने कहा कि यदि न्यायपालिका आम लोगों की रक्षा नहीं करेगी तो कौन उनकी रक्षा करेगा? आम लोगों को भरोसा है कि सिर्फ न्यायपालिका ही उनकी समस्याओं से उन्हें निजात दिला सकती है।

सीएम ममता ने मुख्य न्यायाधीश की सराहना की

ममता ने मुख्य न्यायाधीश की सराहना करते हुए कहा कि न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ निस्संदेह देश की न्यायपालिका में सुधार में मददगार रहे हैं। ममता ने यह भी दावा किया कि अपने स्तर पर राज्य सरकार ने न्यायिक तंत्र में सुधार के लिए लगभग एक हजार करोड़ रुपये खर्च किए हैं। बंगाल में 88 फास्ट-ट्रैक अदालतें हैं जिनमें 55 सिर्फ महिलाओं के लिए हैं। राज्य में 99 मानवाधिकार अदालतें हैं।

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