Move to Jagran APP

रवीन्‍द्र नाथ टैगोर के नोबेल पदक चोरी को लेकर सीएम ममता ने कह दी बड़ी बात, बंगाल में गरमाई सियासत

गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर की 161वीं जयंती पर उनके नोबेल पदक चोरी को लेकर बंगाल में सियासत फिर से गरमा गई। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आज रवींद्र जयंती पर आयोजित एक समारोह में कहा-रवींद्रनाथ टैगोर को नोबेल पदक मिलना बंगाल के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि थी।

By Sumita JaiswalEdited By: Updated: Mon, 09 May 2022 07:46 PM (IST)
Hero Image
शांतिनिकेतन स्थित विश्वभारती विश्वविद्यालय के संग्रहालय से टैगोर का नोबेल पदक हुआ था चोरी। सांकेतिक तस्‍वीर।
कोलकाता, राज्य ब्यूरो। गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर की 161वीं जयंती पर उनके नोबेल पदक चोरी को लेकर बंगाल में सियासत फिर से गरमा गई। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को रवींद्र जयंती पर आयोजित एक समारोह में कहा-'रवींद्रनाथ टैगोर को नोबेल पदक मिलना बंगाल के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि थी। वाममोर्चा के शासनकाल में उसकी चोरी हो गई। सीबीआइ नोबेल पदक को नहीं ढूंढ नहीं पाई। यह बेहद अफसोस की बात है। उसने संभवत: मामले को क्लोज कर दिया है। मुझे नहीं पता कि जांच में मिले प्रमाण अभी सही सलामत हैं या नहीं।' ममता पहले ही कई बार इस मुद्दे को उठा चुकी हैं। उन्होंने जांच का जिम्मा फिर से राज्य सरकार को सौंपने की भी मांग की थी।

सीएम ममता बनर्जी ने इस बाबत केंद्र को पत्र भी लिखा था, जिसमें उन्होंने कहा था कि अगर जांच का काम फिर से राज्य सरकार को सौंपा जाता है तो इसके लिए विशेष टीम का गठन किया जाएगा। वहीं ममता की पार्टी तृणमूल कांग्रेस के मुखपत्र 'जागो बांग्ला' के ताजा संस्करण में दो-टूक लिखा गया है-'सुनो सीबीआइ, हमें नोबेल पदक वापस चाहिए।' दूसरी तरफ बंगाल भाजपा के वरिष्ठ नेता राहुल सिन्हा ने सनसनीखेज आरोप लगाते हुए कहा कि नोबेल पदक की चोरी मामले की जांच में तृणमूल ने कभी सीबीआइ का सहयोग नहीं किया क्योंकि इसमें वह खुद शामिल है। सियासी विश्लेषकों का कहना है कि सीबीआइ इस समय बंगाल में विभिन्न मामलों की जांच कर रही है, इसलिए तृणमूल इसके जरिए केंद्रीय जांच एजेंसी की नाकामी दिखाने की कोशिश कर रही है।

2004 में विश्वभारती विवि के संग्रहालय से चोरी हुआ था नोबेल

25 मार्च, 2004 को शांतिनिकेतन स्थित विश्वभारती विश्वविद्यालय के संग्रहालय से टैगोर का नोबेल पदक चोरी हो गया था। बंगाल पुलिस के खुफिया विभाग ने चोरी की जांच शुरू की थी। बाद में तत्कालीन मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य ने जांच का जिम्मा सीबीआइ को सौंप दिया था। सीबीआइ ने जोरशोर से जांच शुरू की थी। चोरी के बारे में सूचना देने वाले को 10 लाख रुपये का नकद इनाम देने की भी घोषणा की गई थी, लेकिन काफी कोशिशों के बावजूद सीबीआइ नोबेल चोर का पता नहीं लगा पाई और 2007 में उसने जांच बंद कर दी, हालांकि अगले साल सीबीआइ ने दोबारा मामले की जांच शुरू की लेकिन एक बार फिर उसके हाथ नाकामी लगी और 2009 में उसने मामले को बंद कर दिया। गौरतलब है कि गुरुदेव को 1913 में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

तृणमूल विधायक का विवादास्पद बयान

इस बीच रवींद्र जयंती पर आयोजित एक कार्यक्रम में पूर्व बद्र्धमान के भातार से तृणमूल विधायक मानगोविंद अधिकारी ने विवादास्पद बयान देते हुए कहा कि टैगोर को नोबेल पद देकर उनका अपमान किया गया था इसलिए बंगाल के लड़कों ने उसे चुरा लिया। इसे लेकर विवाद बढ़ता देख बाद में विधायक ने माफी मांग ली और कहा कि उनके मुंह से यह बात निकल गई थी।

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।