बंगाल HC में हंगामा के मामले में TMC प्रवक्ता कुणाल घोष के खिलाफ भई शिकायत दर्ज, 12 लोगों को किया गया नामजद
नौ और दस जनवरी को कलकत्ता हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति राजशेखर मंथा की अदालत के सामने वकीलों ने हंगामा किया था। वकील तापस मैती ने अपनी शिकायत में कुल 12 लोगों को नामजद किया गया है जिनमें तृणमूल कांग्रेस के राज्य महासचिव कुणाल घोष शामिल हैं।
By Jagran NewsEdited By: Piyush KumarUpdated: Wed, 18 Jan 2023 07:43 PM (IST)
राज्य ब्यूरो, कोलकाता : कलकत्ता हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति राजशेखर मंथा द्वारा नौ जनवरी और 10 जनवरी को उनकी अदालत के सामने हुए हंगामे के मामले में हाई कोर्ट के तीन जजों की एक विशेष पीठ का गठन किया गया है। इस घटना में कुल 12 व्यक्तियों को जिम्मेदार ठहराते हुए एक अलग शिकायत दर्ज की गई है। पेशे से वकील तापस मैती ने अपनी शिकायत में कुल 12 लोगों को नामजद किया है, जिनमें 11 वकील और तृणमूल कांग्रेस के राज्य महासचिव और बंगाल में पार्टी के प्रवक्ता कुणाल घोष शामिल हैं।
शिकायत पत्र में नामित व्यक्तियों के खिलाफ नहीं की गई तुरंत कार्रवाई
हालांकि न्यायमूर्ति टीएस शिवज्ञानम, इंद्र प्रसन्ना मुखर्जी और चितरंजन दास ने शिकायत पर तुरंत कार्रवाई करने से इनकार कर दिया। पीठ ने कहा कि वह शिकायत पत्र में नामित व्यक्तियों के खिलाफ तुरंत कार्रवाई का आदेश नहीं देगी। न्यायमूर्ति मुखर्जी ने कहा कि सब कुछ सबूत के अधीन है। हम नहीं चाहते कि किसी निर्दोष व्यक्ति का नाम इस मामले में घसीटा जाए जो हंगामे में शामिल न हो। मंगलवार को तीन जजों की पीठ ने हंगामे की सीसीटीवी फुटेज मांगी और कहा कि उसके आधार पर वकीलों की पहचान की जाएगी और मुकदमा चलाया जाएगा।
घोष की प्रतिक्रिया यह थी कि कानून अपना काम करेगा और किसी को भी इस मामले में किसी का नाम लेने की आजादी है। पीठ ने यह भी फैसला सुनाया कि जब तक मामले की सुनवाई पूरी नहीं हो जाती, तब तक इस मामले में कोई जनसभा या रैली या नए सिरे से पोस्टरबाजी नहीं होनी चाहिए।
कुणाल घोष ने न्यायमूर्ति के खिलाफ तीखा हमला किया था
बता दें कि पिछले साल 15 दिसंबर को जब न्यायमूर्ति मंथा ने एफआइआर के खिलाफ विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी को संरक्षण दिया था, तब कुणाल घोष ने न्यायमूर्ति के खिलाफ तीखा हमला किया था। घोष ने आरोप लगाया था कि न्यायमूर्ति मंथा द्वारा प्रदान किए गए संरक्षण के कारण विपक्ष के नेता लापरवाह हो गए हैं। इस कड़ी में सोमवार की सुबह न्यायाधीश मंथा की पीठ का बहिष्कार और उनके आवास पर पोस्टरों के जरिए विरोध-प्रदर्शन शुरू किया गया था।
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