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Bengal: 'सिर्फ मारना-पीटना ही क्रूरता नहीं, दांपत्य जीवन को...', कलकत्ता हाई कोर्ट ने ऐसा क्यों कहा?

कलकत्ता हाई कोर्ट ने शनिवार को कहा कि सिर्फ मारना-पीटना ही क्रूरता नहीं है बल्कि दु‌र्व्यवहार व जान-बूझकर दांपत्य जीवन नष्ट करने की कोशिश करना भी इसी श्रेणी में आता है। कोर्ट ने यह भी कहा कि क्रूरता की कोई विधिबद्ध परिभाषा नहीं है। एक व्यक्ति के लिए जो क्रूरता हो सकती है दूसरे के लिए नहीं भी हो सकती है।

By Jagran NewsEdited By: Achyut KumarUpdated: Sat, 25 Nov 2023 09:13 PM (IST)
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सिर्फ मारना-पीटना ही क्रूरता नहीं : कलकत्ता हाई कोर्ट (फाइल फोटो)
राज्य ब्यूरो, कोलकाता। कलकत्ता हाई कोर्ट ने तलाक के एक मामले में महत्वपूर्ण टिप्पणी करते हुए कहा है कि सिर्फ मारना-पीटना ही क्रूरता नहीं है, दु‌र्व्यवहार व जान-बूझकर दांपत्य जीवन नष्ट करने की कोशिश करना भी इसी श्रेणी में आता है।

'क्रूरता की कोई विधिबद्ध परिभाषा नहीं है'

न्यायाधीश सौमेन सेन व न्यायाधीश सिद्धार्थ राय चौधरी की खंडपीठ ने अपने पर्यवेक्षण में आगे कहा कि क्रूरता की कोई विधिबद्ध परिभाषा नहीं है। एक व्यक्ति के लिए जो क्रूरता हो सकती है, दूसरे के लिए नहीं भी हो सकती है। कौन किस आचरण को क्रूरता के तौर पर देखता है, यह उसके पालन-पोषण, शिक्षा व सामाजिक परिस्थितियों पर निर्भर करता है।

क्या है पूरा मामला?

मिली जानकारी के मुताबिक, निचली अदालत ने एक मामले में तलाक का फैसला सुनाया था, जिसे व्यक्ति (पूर्व पति) ने हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। महिला (पूर्व पत्नी) का आरोप है कि शादी के बाद से व्यक्ति द्वारा उस पर शारीरिक व मानसिक रूप से अत्याचार किया जा रहा था। उसने गर्भावस्था के दौरान किसी तरह का सहयोग भी नहीं किया।

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महिला का आरोप है कि व्यक्ति ने बच्चे के कटे होंठ के आपरेशन के लिए एक पैसा नहीं दिया। नौकरी करने में भी बाधा दी और वेतन को संयुक्त बैंक खाते में जमा कराने के लिए बाध्य किया गया।

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खंडपीठ ने निचली अदालत के फैसले को कायम रखते हुए कहा कि इस तरह के व्यवहार को क्रूरता की श्रेणी में रखा जाना चाहिए। दु‌र्व्यवहार व जान-बूझकर दांपत्य जीवन नष्ट करने की कोशिश भी एक तरह की क्रूरता है।

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