Gangasagar: गंगासागर मेले में पवित्र डुबकी लगाएंगे श्रद्धालु, भारी भीड़ को देखते हुए सुरक्षा के कड़े इंतजाम
कपिल मुनि मंदिर के समुद्र में समाने का खतरा बढ़ता जा रहा है। हर गुजरते साल के साथ समुद्र मंदिर के करीब आ रहा है। दोनों के बीच अब सिर्फ एक किलोमीटर का फासला रह गया है। इसे देखते हुए राज्य का सिंचाई विभाग हरकत में आया है। समुद्र के पानी को मंदिर की तरफ बढ़ने से रोकने के लिए तट पर गार्ड वाल का निर्माण शुरू किया गया है।
विशाल श्रेष्ठ, गंगासागर। गंगासागर मेले की सभी तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। आज से शुरू होने वाले मेले में लाखों लोगों के स्नान करने की उम्मीद जताई जा रही है। जिसको देखते हुए इलाके में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। कुंभ मेले के बाद दूसरा सबसे बड़ा मेला, गंगासागर मेला मकर संक्रांति के पवित्र दिन से शुरू होता है।
देश के सबसे पुराने और प्रमुख तीर्थस्थलों में से एक पर लगने वाले वार्षिक मेले में हर साल श्रद्धालु आते हैं। जो सागरद्वीप में गंगा के पवित्र जल में डुबकी भी लगाते हैं। समाचार एजेंसी एएनआई के साथ बातचीत में, दक्षिण 24 परगना के जिला मजिस्ट्रेट सुमित गुप्ता ने बताया कि मेले की तैयारी पिछले पांच-छह महीने से चल रही है। कई विभाग तैयारियों में जुटे थे, मेले में आगंतुकों, तीर्थयात्रियों और संतों की आवाजाही पर नजर रखने के लिए एक नियंत्रण कक्ष खोला गया है। सार्वजनिक सुरक्षा सुनिश्चित करने और यह भी सुनिश्चित करने के लिए कि तीर्थयात्रियों और श्रद्धालुओं को कोई असुविधा न हो, सभी इंतजाम किए गए हैं। हम यहां मेगा कंट्रोल रूम से मेला मैदान में लगे 1,145 सीसीटीवी से फीड को ट्रैक कर रहे हैं।
कपिल मुनि मंदिर के समुद्र में समाने का खतरा
बंगाल के गंगासागर के कपिल मुनि मंदिर के समुद्र में समाने का खतरा बढ़ता जा रहा है। हर गुजरते साल के साथ समुद्र मंदिर के करीब आ रहा है। दोनों के बीच अब सिर्फ एक किलोमीटर का फासला रह गया है। इसे देखते हुए राज्य का सिंचाई विभाग हरकत में आया है। समुद्र के पानी को मंदिर की तरफ बढ़ने से रोकने के लिए तट पर गार्ड वाल का निर्माण शुरू किया गया है। एक से तीन नंबर तट तक लगभग दो किलोमीटर लंबा गार्ड वाल बन रहा है, जिसके कारण इस साल मकर संक्रांति पर यहां दो नंबर तट पर पुण्य स्नान की अनुमति नहीं दी गई है, जो कपिल मुनि मंदिर के बिल्कुल सीध में है।गंगासागर मेले के आयोजन का दायित्व प्राप्त राज्य के खेल मंत्री अरुप विश्वास ने कहा कि प्रकृति से लड़ना हमारे वश में नहीं है, हालांकि हम वैज्ञानिक तरीके से समुद्र के पानी को मंदिर की तरफ बढ़ने से रोकने के उपाय कर रहे हैं। वहीं कपिल मुनि मंदिर के महंत ज्ञानदास जी महाराज के उत्तराधिकारी संजय दास ने कहा कि मंदिर प्रशासन लगातार इस बारे में राज्य प्रशासन का ध्यान आकर्षित करता आया है। अब तक चार मंदिर समुद्र में समा चुके हैं। पर्यावरण विशेषज्ञों का कहना है कि कपिल मुनि मंदिर एक द्वीप पर स्थित है। यह ऐसा क्षेत्र है, जहां चक्रवात की प्रबल आशंका रहती है। चक्रवात यास के समय समुद्र का मंदिर में पानी घुस गया था।
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