Kolkata: मासिक धर्म के बारे में लोगों को जागरूक कर रहा कोलकाता का यह पंडाल, लाखों रुपये में बनकर हुआ तैयार
कोलकाता का पाथुरीघाट पंचर पल्ली (Pathurighata Pancher Palli) का पंडाल इस बार अपने थीम को लेकर चर्चा में है। इस दुर्गा पूजा पंडाल को मासिक धर्म स्वच्छता-थीम पर बनाया गया है जो मासिक धर्म से जुड़ी सीमाओं के साथ-साथ सामाजिक जागरूकता फैला रहा है। पाथुरीघाट पंचर पल्ली सर्बोजनिन दुर्गोत्सव समिति के कार्यकारी अध्यक्ष एलोरा साहा ने कहा कि इस पंडाल को बनाने में तीन माह का समय लगा है।
एएनआई, कोलकाता। पश्चिम बंगाल की दुर्गा पूजा देश और दुनिया में खासा लोकप्रिय है। वहीं, कोलकाता में दुर्गा पूजा का पंडाल अलग-अलग थीम पर बनाई जाती है, जिसको देखने के लिए लोग भारी संख्या में पहुंचते हैं। वहीं, इस बार कोलकाता का पाथुरीघाट पंचर पल्ली (Pathurighata Pancher Palli) का पंडाल अपने थीम को लेकर चर्चा में है। इस दुर्गा पूजा पंडाल को मासिक धर्म स्वच्छता-थीम पर बनाया गया है, जो मासिक धर्म से जुड़ी सीमाओं के साथ-साथ सामाजिक जागरूकता फैला रहा है।
सामाजिक जागरूकता के लिए बनाया गया है पंडालः एलोरा
वहीं, पाथुरीघाट पंचर पल्ली सर्बोजनिन दुर्गोत्सव (Pathuriaghata Pancher Palli Sarbojanin Durgotsab) समिति के कार्यकारी अध्यक्ष एलोरा साहा ने कहा कि इस पूजा पंडाल को लोगों के बीच मासिक धर्म स्वच्छता और सामाजिक जागरूकता के मुद्दे को दिखाने के प्रयास में बनाया गया है। उन्होंने बताया कि पूजा का यह 84वां संस्करण है।
दुनिया को मासिक धर्म को वर्जित मानने से रोकने के लिए हमने मासिक धर्म स्वच्छता का विषय चुना है। हम इसके माध्यम से यह देखने के लिए उत्साहित हैं कि वह इस आइडिया को लोगों के सामने कैसे प्रस्तुत करते हैं। मासिक धर्म एक सामान्य बायोलॉजिकल प्रक्रिया है और इसे किसी भी तरह के पर्दे के नीचे रखने की जरूरत नहीं है। उन्होंने का कि पुरानी सोच को पीछे छोड़ने का यह सही समय है और इस मुद्दे पर पहला कदम आगे बढ़ाना होगा। - एलोरा साहा
लड़कियों के साथ लड़कों को भी दी जानी चाहिए मासिक धर्म की जानकारी
उन्होंने कहा कि मासिक धर्म को लेकर हमारे सामाज में कई तरह की गलत जानकारियां हैं, जिसे कई लोग आज भी मान रहे हैं। उन्होंने कहा कि जब एक महिला मासिक धर्म के दौरान होती है, तो उसे रसोई में जाने की अनुमति नहीं होती है। यहां तक की उसे अपने पति के साथ बिस्तर साझा करने की भी अनुमति नहीं होती है। इस दौरान महिला को घर से बाहर भी नहीं निकलने दिया जाता है। एलोरा साहा ने कहा कि लड़कियों के साथ-साथ लड़कों को भी इस बारे में सही जानकारी दी जानी चाहिए।
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18 लाख रुपये आया खर्च
एलोरा साहा ने कहा कि इस पंडाल को बनाने में तीन माह का समय लगा है, जबकि इसपर करीब 18 लाख रुपये का खर्च आया है।