'बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाने जैसी स्थिति', ED की टीम पर हमले के बाद माकपा-कांग्रेस ने ममता बनर्जी को घेरा
माकपा नेता व राज्यसभा सदस्य विकासरंजन भट्टाचार्य ने कहा कि मुझे यह कहने में कोई संकोच नहीं है कि इन सब के पीछे मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की प्रेरणा है। ममता ने सार्वजनिक सभा में अपने कार्यकर्ताओं से कहा कि अगर मेरे घर पर सीबीआई आएगी तो आप खड़े रहोगे। वहीं प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाने की स्थिति है।
राज्य ब्यूरो, कोलकाता। बांग्लादेश की सीमा से सटे उत्तर 24 परगना जिले के संदेशखाली में ईडी, केंद्रीय बल और मीडिया कर्मियों पर हुए हमले की भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर एनआईए जांच की मांग की है।
बंगाल में राष्ट्रपति शासन की जरूरत
वहीं, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति के बारे में विस्फोटक बात कही। उन्होंने कहा कि जजों को धमकाया जा रहा है, जजों के खिलाफ सार्वजनिक रूप से कठोर टिप्पणियां की जा रही हैं। जजों को डराया जा रहा है और पोस्टर लगा जा रहे हैं। ईडी पर हमला हो रहा है, भविष्य में कहीं जजों पर भी हमला न होने लगे। बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाने के लिए उपयुक्त कानून व्यवस्था की स्थिति है।
ममता बनर्जी से मिल रही प्रेरणा
माकपा नेता व राज्यसभा सदस्य विकासरंजन भट्टाचार्य ने कहा कि मुझे यह कहने में कोई संकोच नहीं है कि इन सब के पीछे मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की प्रेरणा है। ममता ने सार्वजनिक सभा में अपने कार्यकर्ताओं से कहा कि अगर मेरे घर पर सीबीआई आएगी तो, आप खड़े रहोगे!उन्होंने कहा कि दूसरे शब्दों में, जब सीबीआई या ईडी जांच करने आती है, तो उनका घेराव करना, समूहों में घेरना तृणमूल का एक सुनियोजित निर्णय है। मुझे लगता है कि तमाम करतूतों से बचने की कोशिश में ममता ने ऐसा आत्मघाती फैसला लिया है। शायद वह राष्ट्रपति शासन चाहती हैं।
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टीएमसी ने किया पलटवार
वहीं, तृणमूल कांग्रेस के प्रवक्ता कुणाल घोष ने पलटवार करते हुए कहा कि जहां केंद्र का सबसे बड़ा एजेंट अधीर चौधरी बैठा हो, वहां बहुत स्वाभाविक है कि केंद्र की बात, एजेंसी का समर्थन, भाजपा की बात अधीर चौधरी के मुंह से निकलेगी। जब ये ईडी और सीबीआई दिल्ली में कांग्रेस नेताओं के घर जाकर तलाशी लेती थी, तब ये अधीर चौधरी बड़ी-बड़ी बातें करते थे, सड़कों पर उतरकर विरोध करते थे। ईडी के खिलाफ अलग-अलग भाषा का इस्तेमाल करते हैं और अगर यह तृणमूल के खिलाफ है, तो उन्होंने नाचना शुरू कर दिया है।
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