राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने बंगाल विधानसभा का सत्र किया स्थगित, टीएमसी ने कहा- अभूतपूर्व घटना
पश्चिम बंगाल के राज्यपाल और ममता सरकार के बीच टकराव चरम पर पहुंच गया है। राज्यपाल ने आदेश जारी किया है कि अब बिना उनकी अनुमति के बिना विधानसभा का सत्र नहीं बुलाया जा सकता है। तृणमूल कांग्रेस ने राज्यपाल के फैसले को असंवैधानिक बताया।
By Sumita JaiswalEdited By: Updated: Sat, 12 Feb 2022 07:56 PM (IST)
कोलकाता, राज्य ब्यूरो। बंगाल सरकार के साथ विभिन्न मुद्दों पर टकराव के बीच राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने शनिवार को बड़ा कदम उठाते हुए राज्य विधानसभा सत्र को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित (सत्रावसान) कर दिया। संसद या विधानसभा के एक सत्र को भंग किए बिना सत्रावसान किया जाता है। ममता बनर्जी नेतृत्व वाली सरकार से कई मुद्दों पर उलझ चुके धनखड़ ने एक ट्वीट में कहा कि उन्होंने 12 फरवरी से विधानसभा का सत्रावसान किया है। धनखड़ ने ट्वीट किया, संविधान के अनुच्छेद 174 के खंड (2) के उप-खंड (ए) द्वारा मुझे प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए मैं 12 फरवरी से पश्चिम बंगाल विधान सभा का सत्रावसान कर रहा हूं।
दरअसल, इस आदेश का सीधा अर्थ है कि अब राज्य विधानसभा का सत्र बिना राज्यपाल की अनुमति या उनके अभिभाषण के बिना नहीं बुलाया जा सकता है। ममता सरकार को अब बजट सत्र की शुरुआत के लिए राज्यपाल से अनुमति लेनी होगी और इसकी शुरुआत उनकेअभिभाषण से ही होगी।
तृणमूल का दावा, मंत्रिमंडल की सिफारिश पर राज्यपाल ने लिया निर्णय, धनखड़ ने किया खंडन
वहीं, इस घटनाक्रम पर सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के प्रवक्ता कुणाल घोष ने दावा किया कि राज्यपाल ने राज्य मंत्रिमंडल की सिफारिश पर यह निर्णय लिया है। इसमें कोई भ्रम नहीं है। हालांकि दूसरी तरफ राज्यपाल ने ट्वीट कर इस दावे का खंडन किया है। वहीं, कुणाल के बयान से पहले तृणमूल के वरिष्ठ सांसद व प्रवक्ता सौगत राय ने कहा कि यह अभूतपूर्व घटना है। राज्य सरकार को राज्यपाल के इस निर्णय के खिलाफ कोर्ट जाना चाहिए।
वहीं, इस फैसले का बचाव करते हुए बंगाल भाजपा अध्यक्ष डा सुकांत मजूमदार ने कहा, राज्यपाल के पास ऐसा करने का अधिकार है। उन्होंने अपनी शक्ति का इस्तेमाल किया है। ऐसा राज्य सरकार के कुशासन और प्रशासन द्वारा लगातार उठाए जा रहे अडिय़ल रुख के कारण किया गया है।
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