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West Bengal: राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने ममता बनर्जी पर साधा निशाना, कहा-बंगाल में ढह गई है संवैधानिक व्यवस्था

West Bengal बंगाल वित्त आयोग को आधार बनाकर राज्यपाल ने बंगाल सरकार के अधिकारिकों को टैग करते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर निशाना साधा है। राज्य में पहला वित्त आयोग 1951 में गठित किया गया था। अब तक 15 वित्त आयोग गठित किए जा चुके हैं।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Updated: Sun, 19 Sep 2021 09:30 PM (IST)
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बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ और ममता बनर्जी का फाइल फोटो

राज्य ब्यूरो, कोलकाता। बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने फिर ममता सरकार पर हमला बोला है। राज्य वित्त आयोग को आधार बनाकर राज्यपाल ने बंगाल सरकार के अधिकारिकों को टैग करते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर निशाना साधा है। राज्य में पहला वित्त आयोग 1951 में गठित किया गया था। अब तक 15 वित्त आयोग गठित किए जा चुके हैं। उनमें से हरेक को गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। इसका प्रमुख दायित्व योजना आयोग की समाप्ति के साथ ही योजनागत व गैर-योजनागत व्यय में भेद समाप्त करने व वस्तु व सेवा कर को लागू करना है। 27 नवंबर, 2017 को 15वें वित्त आयोग का गठन किया गया था। राज्यपाल ने ट्वीट किया कि राज्य वित्त आयोग संविधान के आर्टिकल 243 (आइ) और 243 (वाइ) के तहत बाध्य है कि वह राज्यपाल को संस्तुति करे। यह सारा मसौदा राज्य विधानसभा में पटल पर रखा जाता है। संवैधानिक ढांचे की इस तरह से धज्जियां उड़ाई जा रही है कि 2014 के बाद से राज्यपाल को एक बार भी संस्तुति नहीं की गई।

राज्यपाल ने संविधान के आर्टिकल 2431 को भी पोस्ट किया है। इसके मुताबिक, वित्त आयोग एक संवैधानिक निकाय है। इसका गठन संविधान के अनुछेद 280 के तहत किया जाता है। इसका मुख्य दायित्व संघ व राज्यों की वित्तीय स्थितियों का मूल्यांकन करना, उनके बीच करों के बंटवारे की संस्तुति करना व राज्यों के बीच इन करों के वितरण के लिए सिद्धांतों का निर्धारण करना है। वित्त आयोग की कार्यशैली की विशेषता सरकार के सभी स्तरों पर व्यापक व गहन परामर्श कर सहकारी संघवाद के सिद्धांत को सुदृढ़ करना है। इसकी संस्तुतियां सार्वजनिक व्यय की गुणवत्ता में सुधार लाने और राजकोषीय स्थिरता को बढ़ाने की दिशा में भी सक्षम होती है। राज्यपाल ने अपने ट्वीट में आगे लिखा कि राज्य वित्त आयोग का कार्यकाल पांच साल का होता है, लेकिन 14वां आयोग समय पूरा होने के बाद भी चलता रहा। आयोग के चेयरमैन व सदस्यों को अपना वेतन व भत्ते सरकार को लौटाने चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि ये जनता का पैसा है, लिहाजा इसे हर हाल में रिकवर किया जाना चाहिए। 

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