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बंगाल में बाढ़ पर घमासान, राज्यपाल ने डीवीसी पर आरोपों को लेकर सीएम ममता से मांगा स्पष्टीकरण

बंगाल के राज्यपाल डा सीवी आनंद बोस ने दक्षिण बंगाल के आठ जिलों में आई बाढ़ के लिए केंद्र के अधीन दामोदर घाटी निगम (डीवीसी) को जिम्मेदार ठहराने के आरोपों को लेकर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से स्पष्टीकरण मांगा है। ममता ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर डीवीसी के साथ सभी समझौतों को रद करने की भी चेतावनी दी है।

By Jagran News Edited By: Jeet Kumar Updated: Sat, 21 Sep 2024 12:45 AM (IST)
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राज्यपाल ने डीवीसी पर आरोपों को लेकर ममता ने मांगा स्पष्टीकरण

 राज्य ब्यूरो, जागरण, कोलकाता। बंगाल के राज्यपाल डा सीवी आनंद बोस ने दक्षिण बंगाल के आठ जिलों में आई बाढ़ के लिए केंद्र के अधीन दामोदर घाटी निगम (डीवीसी) को जिम्मेदार ठहराने के आरोपों को लेकर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से स्पष्टीकरण मांगा है। राजभवन सूत्रों ने शुक्रवार शाम इसकी जानकारी दी।

ममता ने लिखा पीएम मोदी को पत्र

ममता पिछले तीन दिनों से लगातार आरोप लगा रही है कि डीवीसी के बांधों से बिना राज्य को बताए एकतरफा भारी मात्रा में पानी छोड़ने के परिणामस्वरूप दक्षिण बंगाल के जिलों में बाढ़ की भयावह स्थिति उत्पन्न हुई है। ममता ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर डीवीसी के साथ सभी समझौतों को रद करने की भी चेतावनी दी है। इसके बाद राज्यपाल ने प्राप्त विशेषज्ञ इनपुट के आधार पर मुख्यमंत्री से स्पष्टीकरण के लिए कई मुद्दे उठाए हैं।

इसलिए आई बाढ़

राजभवन के अनुसार, दक्षिण बंगाल के जिले जैसे बांकुड़ा, बीरभूम और पश्चिम मेदिनीपुर दामोदर घाटी नदी प्रणाली में नहीं आते हैं। इन क्षेत्रों में बाढ़ का कारण कंसाबती, सिलाबती और द्वारकेश्वर नदियों पर अत्यधिक वर्षा की स्थिति और कंसाबती नदी के मुकुटमणिपुर बांध से भारी मात्रा में पानी छोड़े जाने के कारण है, जिससे सुरक्षात्मक तटबंध टूट गए हैं और विनाशकारी बाढ़ आई है। यहां डीवीसी संबंधित प्राधिकारी नहीं है। दूसरा, डीवीसी बांध बाढ़ नियंत्रण, सिंचाई, उद्योगों को पानी की आपूर्ति और पेयजल उद्देश्यों के लिए बनाए गए थे।

बांध टूट जाता है तो एक बड़ी आपदा का कारण बनेगा

बांध केवल बाढ़ को कम करने और मध्यम करने के लिए एक बैरियर है। यदि पानी का अंतर्वाह बढ़ रहा है तो यह कभी भी बाढ़ को पूरी तरह से रोकने में सक्षम नहीं हो सकता है। यदि ऐसा होता है तो यह बांध की संरचनात्मक अखंडता को खतरे में डालेगा और यदि बांध टूट जाता है तो एक बड़ी आपदा का कारण बनेगा। इसलिए यदि जल प्रवाह अत्यधिक है और छोड़ा गया पानी बांध की धारण क्षमता के अनुरूप नहीं है तो इससे बांध की सुरक्षा को खतरा होगा।

बंगाल सरकार इस बात से पूरी तरह अवगत है। राज्यपाल का कहना है कि बंगाल सरकार के कांसाबती बांध से भी पानी छोड़ा गया था, जब वह उसे और अधिक रोक नहीं सका, जो बांकुड़ा, पूर्व और पश्चिमी मेदिनीपुर और हावड़ा जिलों में बाढ़ का मुख्य कारण था।

अगर बांध टूट गया तो कई जिले बह जाएंगे

इधर, डीवीसी ने भी स्पष्ट कहा कि पानी छोड़ने का निर्णय डीवीसी नहीं बल्कि दामोदर घाटी जलाशय विनियमन समिति लेती है, जिसमें बंगाल के भी प्रतिनिधि हैं।कोलकाता में डीवीसी मुख्यालय के एक अधिकारी ने कहा कि हर बांध की एक अधिकतम जल धारण क्षमता होती है, अगर समय पर पानी नहीं छोड़ा गया, तो यह कितनी बड़ी आपदा हो सकती है, यह अकल्पनीय है। अगर बांध टूट गया तो कई जिले बह जाएंगे। अभी जहां पानी घर में घुसा है, वहां फिर कोई घर नहीं रहेगा।