West Bengal: हाई कोर्ट से सुवेंदु को मिली राहत, नहीं दी उनके खिलाफ एफआइआर दर्ज करने की अनुमति
कलकत्ता हाई कोर्ट ने आसनसोल में एक कार्यक्रम के दौरान भगदड़ में हुईं मौतों के मामले में भाजपा विधायक व बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी के खिलाफ तुरंत एफआइआर दर्ज करने की अनुमति नहीं दी है। फाइल फोटो।
राज्य ब्यूरो, कोलकाता। कलकत्ता हाई कोर्ट ने आसनसोल में एक कार्यक्रम के दौरान भगदड़ में हुईं मौतों के मामले में भाजपा विधायक व बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी के खिलाफ तुरंत एफआइआर दर्ज करने की अनुमति नहीं दी है। न्यायाधीश जय सेनगुप्ता ने शुक्रवार को निर्देश दिया कि अगर राज्य सरकार सुवेंदु अधिकारी के खिलाफ एफआइआर दर्ज करना चाहती है तो उसे उचित पीठ के पास जाना चाहिए। हाई कोर्ट इस संबंध में कोई अंतरिम आदेश नहीं देगा।
राज्य सरकार ने खटखटाया था सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा
मालूम हो कि राज्य सरकार ने गत बुधवार को आसनसोल में कंबल वितरण कार्यक्रम के दौरान भगदड़ में तीन लोगों की मौत के मामले में सुवेंदु अधिकारी के खिलाफ एफआइआर दर्ज करने की अनुमति के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, जिसे खारिज कर दिया गया था। उसके बाद राज्य सरकार ने कलकत्ता हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश प्रकाश श्रीवास्तव और न्यायाधीश राजर्षि भारद्वाज की खंडपीठ का ध्यान आकर्षित कर न्यायाधीश राजशेखर मंथा की एकल पीठ के आदेश में संशोधन करने का अनुरोध किया था।
एफआइआर दर्ज करना जरूरी- राज्य सरकार
राज्य सरकार ने अदालत को बताया कि न्यायमूर्ति मंथा ने आदेश के अंत में कहा है कि अदालत की अनुमति के बिना सुवेंदु के खिलाफ एफआइआर दर्ज नहीं की जा सकती लेकिन इस घटना में एफआइआर दर्ज करना जरूरी है। इसपर न्यायाधीश सेनगुप्ता ने सवाल किया- 'क्या राज्य सरकार कोई प्रारंभिक जांच कर रही है? क्या शवों का परीक्षण खत्म हो गया है? एफआइआर दर्ज करने से पहले ये होने की जरूरत है। इससे जुड़ा एक और मामला मुख्य न्यायाधीश के समक्ष लंबित है। ऐसे में यह एकल पीठ क्या करेगी? क्या आप खंडपीठ में चुनौती देने गए थे?
राज्य सरकार नहीं दे पाई जवाब
न्यायाधीश सेनगुप्ता के इन सवालों का राज्य सरकार स्पष्ट जवाब नहीं दे पाई। दूसरी तरफ सुवेंदु अधिकारी के अधिवक्ता राजदीप मजुमदार ने अदालत को बताया कि राज्य सीधे सुप्रीम कोर्ट गई थी लेकिन वहां सुनवाई नहीं की गई।
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