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Bengal News: हिंदी व उर्दूभाषियों को बांग्ला भाषा बोलने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता : अल्पसंख्यक आयोग

अल्पसंख्यक आयोग के सचिव शकील अहमद ने कहा कि अक्सर अल्पसंख्यकों को विभिन्न तरह से परेशान किया जाता है। जो लोग बांग्ला भाषा बोलना नहीं जानते उन्हें यह भाषा सीखकर बोलने के लिए बाध्य किया जाता है जो एक अपराध है।

By Jagran NewsEdited By: Shashank MishraUpdated: Sat, 17 Dec 2022 07:43 PM (IST)
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आयोग ने हालांकि माना कि बंगाल में अल्पसंख्यकों की स्थिति काफी अच्छी है।
राज्य ब्यूरो, कोलकाता। पश्चिम बंगाल अल्पसंख्यक आयोग ने साफ शब्दों में कहा है कि हिंदी और उर्दूभाषियों को बांग्ला भाषा बोलने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता। ऐसा करना अपराध है। अल्पसंख्यक आयोग की चेयरपर्सन मुमताज संघमित्रा ने कहा कि बंगाल में मुसलमान, ईसाई, बौद्ध, सिख, जैन और पारसी अल्संख्यकों की सूची में शामिल हैं। इसी तरह राज्य में भाषाई तौर पर भी अल्पसंख्यक हैं। यहां जो लोग हिंदी, उर्दू, नेपाली, गुरुमुखी, उडिया और संथाली भाषा बोलते हैं, वे भाषाई अल्पसंख्यक की श्रेणी में आते हैं। अगर उन्हें भाषाई तौर पर कोई समस्या हो रही है तो वे अल्पसंख्यक आयोग के पास शिकायत कर सकते हैं।

भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है

अल्पसंख्यक आयोग के सचिव शकील अहमद ने कहा कि अक्सर अल्पसंख्यकों को विभिन्न तरह से परेशान किया जाता है। जो लोग बांग्ला भाषा बोलना नहीं जानते, उन्हें यह भाषा सीखकर बोलने के लिए बाध्य किया जाता है, जो एक अपराध है। भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है। यहां विविध भाषाएं बोलने वाले लोग रहते हैं इसलिए किसी को भी इस तरह से बाध्य नहीं किया जा सकता। अहमद ने हालांकि स्वीकार किया कि बंगाल में पिछले पांच वर्षों में भाषाई अल्पंसख्यकों की तरफ से आयोग के पास कोई बड़ी शिकायत दर्ज नहीं कराई गई है, जिसे देखते हुए कहा जा सकता है कि बंगाल में उनकी स्थिति काफी अच्छी है। अल्संख्यकों की स्थिति जानने के लिए आयोग के लोग जिले-जिले में भी घूम रहे हैं।

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