आइआइटी खड़गपुर के शोधकर्ताओं ने 2000 किसानों को सूक्ष्म सिंचाई तकनीकों के बारे में किया प्रशिक्षित
आइआइटी खड़गपुर के शोधकर्ताओं के एक समूह ने सूक्ष्म सिंचाई और संरक्षित खेती संरचनाओं के बारे में संस्थान के आसपास के गांवों के लगभग 2000 से अधिक किसानों को प्रशिक्षण दिया है।
By Preeti jhaEdited By: Updated: Mon, 13 Jul 2020 08:17 AM (IST)
राज्य ब्यूरो, कोलकाता । भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) खड़गपुर के शोधकर्ताओं के एक समूह ने सूक्ष्म सिंचाई और संरक्षित खेती संरचनाओं के बारे में संस्थान के आसपास के गांवों के लगभग 2,000 से अधिक किसानों को प्रशिक्षण दिया है।
आइआइटी खड़गपुर की ओर से रविवार को जारी एक बयान में कहा गया कि फार्म मशीनरी और उपकरणों की तकनीक का पालन करने वाले किसानों ने श्रम लागत में कमी, खेती की लागत में कमी, परिचालन की समयबद्धता और मिट्टी की उर्वरता और उत्पादन में वृद्धि की सूचना दी है। बयान में कहा गया कि कृषि और खाद्य इंजीनियरिंग विभाग एवं ग्रामीण विकास केंद्र द्वारा ग्रामीण लोगों के साथ संवाद, प्रशिक्षित करने और यंत्रीकृत खेती व आजीविका के लिए मदद करने के लिए आउटरीच कार्यक्रम आयोजित किए गए थे। अपने सटीक कृषि विकास केंद्र परियोजना के माध्यम से संस्थान ने माइक्रो-सिंचाई, संयुक्त हार्वेस्टर, फसल और सब्जी बागान सौर ऊर्जा संचालित प्रत्यारोपण, अखरोट खोदने और अल्ट्रासोनिक स्प्रेयर से लेकर कृषि मशीनरी विकसित की है।
इस पहल में ग्रामीण लघु उद्योग और कुटीर उद्योग के लिए गैर-कृषि आजीविका प्रौद्योगिकियाँ भी शामिल हैं - जैसे कुम्हार पहिया, जूट रस्सियाँ, डोर मैट और चावल के गुच्छे बनाना। इसके अलावा सामाजिक प्रभाव प्रौद्योगिकियाँ जैसे धुआं रहित चूल्हे और ग्रामीण जल सुविधा है।आइआइटी खड़गपुर ने इस लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में नेशनल इनिशिएटिव फॉर डिजाइन इनोवेशन और उन्नत भारत अभियान जैसी राष्ट्रीय मिशन परियोजनाओं के तहत उपलब्ध धन को बड़े पैमाने पर जुटाया है। आइआइटी खड़गपुर के निदेशक प्रो वीरेंद्र तिवारी ने कहा, 'भारत सरकार ग्रामीण क्षेत्र के मशीनीकरण के लिए भारी सब्सिडी देती है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्र की ज्वलंत ज़रूरतों को पूरा करने वाली स्वदेशी प्रौद्योगिकियों के लिए बाज़ार बनाने में कृषि मशीनरी क्षेत्र ने महत्वपूर्ण निवेश नहीं किया है।आइआइटी खड़गपुर के विशेषज्ञ हमारे देश के ग्रामीण वर्ग की आजीविका के लिए उपयुक्त प्रौद्योगिकियों को डिजाइन करके इस चुनौती का जवाब दे रहे हैं।'
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