विश्वभारती के नोटिस के जवाब में नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य ने कहा- कानून व्यवस्था बनी रहनी चाहिए
अमर्त्य सेन ने पत्र में आगे लिखा कि बीरभूम के जिला अधिकारी के संज्ञान में पूरा मामला है और आसपास अतिरिक्त जमीन भी खरीदी गई है। 80 से अधिक सालों से जिस जमीन पर मेरा पुश्तैनी घर है उस पर किसी भी तरह के नोटिस को स्वीकार नहीं किया जाएगा।
By Jagran NewsEdited By: Ashisha Singh RajputUpdated: Tue, 18 Apr 2023 05:47 PM (IST)
कोलकाता, राज्य ब्यूरो। विश्वभारती विश्वविद्यालय की ओर से घर पर लगाए गए नोटिस के जवाब में नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन ने पत्र लिखा है। विश्वविद्यालय प्रबंधन ने उन्हें घर खाली करने को कहा है। इसके जवाब में एक दिन पहले सोमवार को लिखे अपने पत्र में अमर्त्य सेन ने कहा है कि 1943 से मेरे पिता आशुतोष सेन और माता अमिता सेन इसी घर में रहते थे और उनके निधन के बाद संपत्ति मुझे हस्तांतरित की गई है।
80 से अधिक सालों से इस जमीन पर मेरा पुश्तैनी घर है : अमर्त्य
अमर्त्य सेन ने आगे लिखा कि बीरभूम के जिला अधिकारी के संज्ञान में पूरा मामला है और आसपास अतिरिक्त जमीन भी खरीदी गई है। 80 से अधिक सालों से जिस जमीन पर मेरा पुश्तैनी घर है उस पर किसी भी तरह के नोटिस को स्वीकार नहीं किया जाएगा। पत्र में उन्होंने लिखा है कि कानून के मुताबिक यहां शांति व्यवस्था बहाल रहनी चाहिए। वह जून महीने में लौटेंगे। उल्लेखनीय है कि विश्वभारती विश्वविद्यालय की ओर से आशुतोष सेन को कुछ जमीन लीज पर दी गई थी।
विश्वविद्यालय प्रबंधन का दावा
विश्वविद्यालय प्रबंधन का दावा है कि नियमानुसार वह जमीन उनके जिंदा रहने तक उनके रहने के लिए थी। उनके निधन के बाद जमीन विश्वविद्यालय को वापस की जानी थी लेकिन राज्य सरकार ने उसे अमर्त्य सेन के नाम पर पंजीकृत कर दिया है। इसे लेकर विश्वभारती विश्वविद्यालय की ओर से लगातार आपत्ति जताई जा रही है। कुलपति विद्युत चक्रवर्ती की ओर से कई बार इस संबंध में अमर्त्य सेन को नोटिस दिया जा चुका है।अमर्त्य सेन को नोटिस भेजकर कड़ी कार्रवाई की बात
विश्वभारती प्रबंधन ने अब अमर्त्य सेन को नोटिस भेजकर कड़ी कार्रवाई की बात कही है। विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार की ओर से भेजे गए नोटिस में कहा गया है कि आगामी 19 अप्रैल को दोपहर 12 बजे 1971 के कब्जा उच्छेद कानून के मुताबिक कार्रवाई की जाएगी।गौरतलब है कि विश्वभारती प्रबंधन की ओर से अमर्त्य सेन को गत 29 मार्च को इस मामले पर सुनवाई के लिए बुलाया गया था। हाजिर नहीं होने के बाद नोटिस भेजा गया है। विवाद 13 डिसमिल जमीन को लेकर है। विश्वभारती प्रबंधन का आरोप है कि यह जमीन उसकी है, जिस पर अमर्त्य सेन ने अवैध तरीके से कब्जा कर रखा है।
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