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कोरोना महामारी को देखते हुए इस बार खुले पंडाल का निर्माण कर रहे कोलकाता के दुर्गापूजा आयोजक

दुर्गापूजा आयोजकों का अनुमान है कि इस बार भी प्रशासन अथवा अदालत की तरफ से संभवत पंडाल के अंदर प्रवेश करने की अनुमति न दी जाए इसलिए वे खुले पंडाल का निर्माण कर रहे हैं ताकि बाहर से ही लोग आसानी से देवी दुर्गा के दर्शन कर सके।

By Priti JhaEdited By: Updated: Mon, 12 Jul 2021 03:42 PM (IST)
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कोरोना महामारी को देखते हुए इस बार खुले पंडाल का निर्माण
विशाल श्रेष्ठ, कोलकाता। कोरोना महामारी को देखते हुए कोलकाता के दुर्गापूजा आयोजक इस बार खुले पंडाल का निर्माण कर रहे हैं ताकि लोग दूर से ही देवी दुर्गा के दर्शन कर सके।गौरतलब है कि पिछले साल कोरोना के कारण कलकत्ता हाईकोर्ट ने पूजा पंडालों के अंदर दर्शनार्थियों के प्रवेश करने पर रोक लगा दी थी, जिसकी वजह से दुर्गापूजा का आयोजन होने पर भी लोग देवी दुर्गा के दर्शन नहीं कर पाए थे।

दुर्गापूजा आयोजकों का अनुमान है कि इस बार भी प्रशासन अथवा अदालत की तरफ से संभवत: पंडाल के अंदर प्रवेश करने की अनुमति न दी जाए, इसलिए वे खुले पंडाल का निर्माण कर रहे हैं ताकि बाहर से ही लोग आसानी से देवी दुर्गा के दर्शन कर सके। महानगर के प्रमुख दुर्गापूजा आयोजकों में शुमार संतोषपुर लेक पल्ली के महासचिव सोमनाथ दास ने बताया-'कोरोना काल में पंडाल के अंदर लोगों का जमावडा़ जोखिमपूर्ण हो सकता है इसलिए हम ऐसे थीम पर काम कर रहे हैं, जिसके तहत खुले पंडाल का निर्माण किया जाएगा और लोग 10 मीटर की दूरी से देवी दुर्गा के दर्शन कर पाएंगे।'

कोलकाता में सबसे ज्यादा भीड़ जुटाने वाले पूजा आयोजकों में से एक यूथ एसोसिएशन, मोहम्मद अली पार्क के संयुक्त सचिव अशोक ओझा ने बताया- 'दुर्गापूजा के आसपास ही देश में कोरोना की तीसरी लहर की भी आशंका जताई जा रही है इसलिए पूजा के आयोजन के साथ सतर्क रहना भी बहुत जरूरी है। पिछले साल हमने हमारे पंडाल का निर्माण इस तरह से किया था कि लोग बाहर से ही प्रतिमाओं के दर्शन कर सके। इस बार भी हम ऐसा ही पंडाल तैयार करने पर विचार कर रहे हैं। दुर्गापूजा के आयोजन को लेकर जो भी दिशानिर्देश जारी किया जाएगा, हम उसका अक्षरश: पालन करेंगे।'

नाम प्रकाशित नहीं करने की इच्छा जाहिर करते हुए एक दुर्गापूजा आयोजक ने कहा-'दुर्गापूजा के आयोजन और कोरोना संबंधी नियमों के पालन में तालमाल बैठाकर चलना बहुत जरूरी है। दुर्गापूजा बंगाल का सबसे बड़ा उत्सव है। राज्य के लोग सालभर इसका बेसब्री से इंतजार करते हैं और पूजा के दिनों में खूब आनंद करते हैं लेकिन खुशी में डूबकर लापरवाही दिखाने से नहीं चलेगा। पूजा आयोजकों के साथ-साथ दर्शनार्थियों को भी बेहद जिम्मेदार होना पड़ेगा।' 

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