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लॉन्चिंग के बाद एंटी-सबमरीन वारफेयर शैलो वाटर क्राफ्ट भारतीय नौसेना में हुआ शामिल, अब दुश्मन को मिलेगी मात

बॉर्डर पर चीन और पाकिस्तान की नापाक हरकतों को देखते हुए भारत की सैन्य क्षमता में लगातार इजाफा किया जा रहा है। इसी कड़ी में इंडियन नेवी की ताकत में नई उपलब्धि जुड़ी है। पहला एंटी-सबमरीन वारफेयर शैलो वाटर क्राफ्ट इंडियन नेवी में शामिल हो गया।

By Jagran NewsEdited By: Piyush KumarUpdated: Tue, 20 Dec 2022 08:36 PM (IST)
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लॉन्चिंग के बाद एंटी-सबमरीन वारफेयर शैलो वाटर क्राफ्ट भारतीय नौसेना में हुआ शामिल
कोलकाता, राज्य ब्यूरो: बॉर्डर पर चीन और पाकिस्तान की नापाक हरकतों को देखते हुए भारत की सैन्य क्षमता में लगातार इजाफा किया जा रहा है। इसी कड़ी में इंडियन नेवी की ताकत में नई उपलब्धि जुड़ी है। गार्डनरीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स लिमिटेड (जीआरएसइ) द्वारा निर्मित पहली एंटी-सबमरीन वारफेयर शैलो वाटर क्राफ्ट (ASWSWUC) को नौसेना में शामिल किया गया। मंगलवार को रक्षा मंत्रालय की वित्तीय सलाहकार रसिका चौबे ने इसे नौसेना में शामिल किया। इस अवसर पर जीआरएसई एवं भारतीय सशस्त्र बलों, और एलएंडटी के कई वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

'साइलेंट हंटर्स' नौसेना की ताकत को करेगी दोगुनी

गौरतलब है कि जीआरएसई भारतीय नौसेना के लिए आठ एएसडब्ल्यूएसडब्ल्यूसी का निर्माण कर रहा है। ये 'साइलेंट हंटर्स' भारतीय नौसेना को सौंप दिए जाने पर तटीय सीमाओं पर दुश्मनों की पनडुब्बियों का पता लगाने में आसानी होगी। 77.6 मीटर लंबे और 10.5 मीटर चौड़े ये जहाज तीन डीजल चालित जेट वाटर द्वारा संचालित हैं और तटीय जल की पूर्ण पैमाने पर उप-सतही निगरानी के साथ खोज और हमले में सक्षम हैं। जीआरएसई ने आठ महीनों में छह जहाजों को लांच करके एक बार फिर रिकार्ड बनाया है, जिनमें दूसरा प्रतिष्ठित पी17ए, दो इन-हाउस डिजाइन किए गए सर्वेक्षण पोत (बड़े), एक तेज गश्ती जहाज़, गुयाना के लिए समुद्र में जाने वाला एक यात्री सह कार्गो और अब पहला एएसडब्ल्यूएसडब्ल्यूसी शामिल हैं।

नौसेना ने जहाज का नाम 'अर्णाला' रखा

नौसेना की परंपरा के अनुसार इस जहाज का नाम उसके पूर्ववर्ती के नाम पर 'अर्णाला' रखा गया है, जिसे 1999 में सेवामुक्त कर दिया गया था।रसिका चौबे ने जहाज निर्माण में 90 प्रतिशत स्वदेशीकरण प्राप्त करने की दिशा में जीआरएसई के प्रयास और भारत सरकार के आत्मनिर्भर भारत मिशन में उसके योगदान की सराहना की। उन्होंने भारतीय नौसेना की एंटी-सबमरीन वारफेयर क्षमता बढ़ाने में जीआरएसई के योगदान का उल्लेख करते हुए सशस्त्र बलों को सर्वोत्तम और नवीनतम तकनीक से लैस करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि आज पनडुब्बी रोधी युद्धपोत का शुभारंभ इस दिशा में एक और कदम है।

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