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'जजों की तुलना भगवान से करना सही नहीं', CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने अदालत और न्याय को लेकर क्या कह दिया?

सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि हम जजों की जिम्मेदारी आम लोगों के हित में काम करने की है। जजों की भगवान से तुलना करने की परंपरा खतरनाक है। जब लोग कोर्ट को न्याय का मंदिर कहते हैं तो इसमें एक बड़ा खतरा है। वो ये है कि हम खुद को उन मंदिरों में बैठे भगवान मान बैठें हैं।

By Jagran News Edited By: Siddharth Chaurasiya Published: Sat, 29 Jun 2024 05:08 PM (IST)Updated: Sat, 29 Jun 2024 05:08 PM (IST)
सीजेआई ने कहा कि जब लोग अदालत को न्याय का मंदिर कहते हैं तो वह कुछ बोल नहीं पाते हैं।

राज्य ब्यूरो, कोलकाता। भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ ने शनिवार को कहा कि जजों की तुलना भगवान से करने की परंपरा खतरनाक है, क्योंकि जजों की जिम्मेदारी आम लोगों के हित में काम करने की है। कोलकाता में नेशनल ज्यूडिशियल एकेडमी के क्षेत्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, "अक्सर हमें आनर या लार्डशिप या लेडीशिप कहकर संबोधित किया जाता है। जब लोग अदालत को न्याय का मंदिर बताते हैं तो इसमें एक बड़ा खतरा है। बड़ा खतरा है कि हम खुद को उन मंदिरों में बैठे भगवान मान बैठें।"

हमें पूर्वाग्रह मुक्त न्याय का भाव पैदा करना होगा: CJI

सीजेआई ने कहा कि जब उनसे कहा जाता है कि अदालत न्याय का मंदिर होता है तो वह कुछ बोल नहीं पाते हैं, क्योंकि मंदिर का मतलब है कि जज भगवान की जगह हैं। बल्कि मैं कहना चाहूंगा कि जजों का काम लोगों की सेवा करना है। उन्होंने कहा कि जब आप खुद को ऐसे व्यक्ति के रूप में देखेंगे जिनका काम लोगों की सेवा करना है तो आपके अंदर दूसरे के प्रति संवेदना और पूर्वाग्रह मुक्त न्याय करने का भाव पैदा होगा।

कामकाज में टेक्नोलाजी पर दिया जा रहा जोर

उन्होंने कहा कि किसी क्रिमिनल केस में भी सजा सुनाते समय जज संवेदना के साथ ऐसा करते हैं क्योंकि अंतत: किसी इंसान को सजा सुनाई जा रही है। सीजेआई ने कहा, इसलिए मेरा मानना है कि संवैधानिक नैतिकता की ये अवधारणाएं महत्वपूर्ण हैं- न सिर्फ सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट के जजों के लिए बल्कि जिला स्तर के जजों के लिए भी, क्योंकि न्यायपालिका के साथ आम लोगों का पहला संपर्क जिले की न्याय व्यवस्था के साथ ही शुरू होता है। उन्होंने न्यायपालिका के कामकाज में टेक्नोलाजी के महत्व पर भी जोर दिया।

उनके अनुसार, आम लोगों द्वारा फैसले तक पहुंच और इसे समझने में भाषा सबसे बड़ी बाधा है। टेक्नोलाजी कुछ चीजों का समाधान प्रदान कर सकता है। ज्यादातर फैसले अंग्रेजी में लिखे जाते हैं। टेक्नोलाजी ने हमें उनका अनुवाद करने में सक्षम बनाया है। हम 51,000 फैसलों का दूसरी भाषाओं में अनुवाद कर रहे हैं। सम्मेलन में राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और कलकत्ता हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवगणनम भी मौजूद थे।


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