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Kolkata Doctor Case: डॉक्टर से दरिंदगी के बाद कैसे मिटाए गए सबूत, CBI ने खोले कई राज

कोलकाता कांड पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान सीबीआई ने बताया कि जांच के दौरान कुछ अहम तथ्य मिले हैं। संदीप के घर का कुछ हिस्सा अवैध अवैध निर्माण की जांच के सिलसिले में कोलकाता नगर निगम के अधिकारी संदीप घोष के घर पहुंचे। आरोप है कि बेलेघाटा में संदीप के घर का कुछ हिस्सा अवैध तरीके से बनाया गया है।

By Jagran News Edited By: Narender Sanwariya Updated: Tue, 01 Oct 2024 12:12 AM (IST)
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सीबीआई ने आरजी कर मेडिकल कॉलेज मामले में कई खुलासे किए। (File Photo)

राज्य ब्यूरो, कोलकाता। सीबीआई आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल की प्रशिक्षु महिला डॉक्टर के साथ दुष्कर्म व हत्या की वारदात में पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष के करीबी कुछ जूनियर और सीनियर डॉक्टरों की भूमिका की जांच कर रही है। जांचकर्ताओं के अनुसार नौ अगस्त को हुई वारदात के बाद सुबूतों को नष्ट करने में संगठित अपराध की तस्वीर स्पष्ट होती जा रही है।

अधिकारियों ने आठ अगस्त की रात ड्यूटी पर तैनात जूनियर व सीनियर डॉक्टरों के मोबाइल काल डिटेल व टावर लोकेशन की जांच है। इससे साफ हो जाएगा कि वे कब, कहां थे और किससे फोन के माध्यम से संपर्क बनाए हुए थे।

पता चला है कि कुछ डॉक्टर वारदात के बाद सेमिनार हाल में मौजूद थे। वे शव के आसपास से नमूने एकत्र करने और पोस्टमार्टम की निगरानी में शामिल थे। इस बारे में कुछ सीनियर और जूनियर डॉक्टरों से पूछताछ की गई है।

पोस्टमार्टम पर उठे सवाल

पोस्टमार्टम पर जूनियर डॉक्टरों ने जाहिर की थी संतुष्टि सूत्रों के मुताबिक पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए पांच जूनियर डॉक्टर खुद पीडि़ता के पोस्टमार्टम के दौरान मौजूद रहना चाहते थे, जिसकी अस्पताल प्रशासन ने अनुमति दे दी थी। पोस्टमार्टम पूरा होने के बाद जूनियर डॉक्टरों ने कोई आपत्ति नहीं जताई और अपनी संतुष्टि जाहिर की थी। दस्तावेज पर पांचों डॉक्टरों के हस्ताक्षर थे।

याचिका वापस ली

सीबीआई ने सोमवार को संदीप घोष को फिर से हिरासत में लेने की अपनी याचिका वापस ले ली। संदीप घोष तथा टाला थाने के पूर्व प्रभारी अभिजीत मंडल को सियालदह कोर्ट में सीबीआई की विशेष अदालत में वर्चुअल माध्यम से पेश किया गया।

अनुमति पर विचार

न्यायाधीश ने सीबीआई से सवाल किया कि अगर जेल में जाकर संदीप से पूछताछ की जा सकती है तो फिर उन्हें हिरासत में लेने की जरूरत क्यों है। इस सवाल के बाद सीबीआई ने अपनी याचिका वापस ले ली। न्यायाधीश ने आश्वासन दिया कि अगर सीबीआई जेल में जाकर पूछताछ करना चाहती है, तो अदालत इसकी अनुमति पर विचार करेगी।

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