Move to Jagran APP

'शराबी पति को नियंत्रित करना पुलिस का काम नहीं', हाई कोर्ट ने खारिज की पीड़ित महिला की याचिका

शराबी पति से परेशान एक महिला ने कोलकाता हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। महिला ने पति पर शराब के नशे में अत्याचार करने का आरोप लगाया। महिला का कहना है कि 2018 में उसकी शादी हुई। मगर दो महीने बाद से ही पति परेशान करने लगा। इस वजह से उसे अपना फ्लैट तक छोड़ना पड़ा। मगर अब हाईकोर्ट ने महिला की याचिका को खारिज कर दिया है।

By Jagran News Edited By: Ajay Kumar Updated: Tue, 19 Nov 2024 10:10 PM (IST)
Hero Image
कोलकाता हाई कोर्ट ने खारिज की महिला की याचिका। ( फाइल फोटो)
जागरण, कोलकाता। कलकत्ता हाई कोर्ट ने एक महिला की याचिका को खारिज करते हुए कहा है कि शराबी पति को नियंत्रित करना पुलिस का काम नहीं है। मई 2018 में हुई शादी के दो माह बाद से शराबी पति के अत्याचार से तंग दक्षिण कोलकाता के पाटुली थाना इलाके की रहने वाली एक महिला ने अपनी सुरक्षा के लिए हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी।

निचली अदालत में करना होगा आवेदन

न्यायमूर्ति तीथंर्कर घोष ने महिला की अर्जी को खारिज करते हुए स्पष्ट कहा कि पुलिस इस तरह से हर किसी को सुरक्षा नहीं दे सकती। अदालत ने कहा कि समाधान के लिए वादी को घरेलू हिंसा से महिलाओं की सुरक्षा अधिनियम की उचित धारा के तहत निचली अदालत में आवेदन करना होगा। अदालत ने निर्देश दिया कि आवेदन दायर होने पर निचली अदालत 10 दिनों के भीतर अंतरिम आदेश जारी करेगी।

दिनभर नशे में रहता है पति

महिला का आरोप है कि उसका पति दिनभर नशे में रहता है। शादी के बाद 2020 में उनके जुड़वा बेटे हुए। बच्चे के जन्म के बाद सोचा था कि सब ठीक हो जाएगा, लेकिन कुछ नहीं बदला। उल्टे अत्याचार और बढ़ गया। बाध्य होकर महिला अपने नाम के फ्लैट को मजबूरन छोड़कर अपनी मां के साथ रह रही है।

सास पर भी कर रहा अत्याचार

महिला का आरोप है कि उसका पति मायके में भी आकर अत्याचार कर रहा है। यहां तक कि अपने बच्चे और सास (पीड़ित महिला की मां) पर भी अत्याचार कर रहा है। इससे तंग आकर महिला ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।

खबर अपडेट की जा रही है...

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।