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Bengal News: हाई कोर्ट ने पंचायत चुनाव के दौरान संदेशखाली में हुई हिंसा पर सरकार से मांगी रिपोर्ट, दिया ये निर्देश

बंगाल के संदेशखाली में उबाल जारी रहने के बीच कलकत्ता उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को राज्य सरकार को पिछले साल पंचायत चुनावों के दौरान क्षेत्र से प्राप्त हिंसा की शिकायतों का विवरण प्रस्तुत करने का निर्देश दिया। हाई कोर्ट चीफ जस्टिस ने राज्य सरकार के वकील से कहा कि पंचायत चुनावों के दौरान संदेशखाली में चुनावी हिंसा से संबंधित एक मामला उनकी पीठ को भेजा गया था।

By Jagran News Edited By: Abhinav AtreyUpdated: Fri, 23 Feb 2024 06:48 PM (IST)
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हाई कोर्ट ने पंचायत चुनाव के दौरान संदेशखाली में हुई हिंसा पर सरकार से रिपोर्ट मांगी। (फाइल फोटो)
राज्य ब्यूरो, कोलकाता। बंगाल के संदेशखाली में उबाल जारी रहने के बीच कलकत्ता उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को राज्य सरकार को पिछले साल पंचायत चुनावों के दौरान क्षेत्र से प्राप्त हिंसा की शिकायतों का विवरण प्रस्तुत करने का निर्देश दिया।

कलकत्ता उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवगणनम की खंडपीठ ने राज्य सरकार के वकील को मौखिक रूप से सूचित किया कि उन्हें स्पष्ट रूप से याद है कि पंचायत चुनावों के दौरान संदेशखाली में चुनावी हिंसा से संबंधित एक मामला उनकी पीठ को भेजा गया था।

चुनावी हिंसा का विवरण अदालत को सौंपना होगा

उन्होंने राज्य सरकार से मामले का विवरण प्राप्त करने और उसे अपनी पीठ को सौंपने को कहा। मुख्य न्यायाधीश ने इस मामले में याचिकाकर्ता का विवरण भी मांगा। उन्होंने यह निर्देश संदेशखाली में करीब 15 दिनों से जारी तनाव से संबंधित मामले की सुनवाई करते हुए दिया। मामले की सुनवाई 26 फरवरी को फिर होगी और तब तक राज्य सरकार को पिछले साल संदेशखाली में चुनावी हिंसा का विवरण अदालत को सौंपना होगा।

संदेशखाली जाने की अनुमति मांगने को लेकर अपील

इस बीच वकीलों के एक संघ ने शुक्रवार को कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति कौशिक चंदा की एकल न्यायाधीश पीठ में एक अपील की, जिसमें संदेशखाली जाने की अनुमति मांगी गई, जहां धारा 144 के तहत नए निषेधाज्ञा आदेश जारी किए गए हैं।

जज ने 48 घंटे तक इंतजार करने की सलाह दी

न्यायमूर्ति चंदा ने याचिकाकर्ताओं को अनुमति मांगने के लिए राज्य सरकार के पास आवेदन करने और 48 घंटे तक इंतजार करने की सलाह दी। जस्टिस चंदा ने कहा कि अगर राज्य सरकार उस अवधि के भीतर अनुमति नहीं देती है, तभी याचिका अदालत द्वारा स्वीकार की जाएगी।

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