Kolkata Doctor Case: उन्नाव मामले की तफतीश कर चुकी CBI की दो महिला अधिकारियों को मिला कोलकाता दुष्कर्म कांड की जांच का जिम्मा
Kolkata Rape and Murder हाथरस और उन्नाव मामले को संभालने वाली सीबीआइ की दो वरिष्ठ अधिकारियों को अब कोलकोता रेप-मर्डर केस की जिम्मेदारी सौंपी गई है। ये दोनों महिला अधिकारियों ने पहले भी हाथरस दुष्कर्म-हत्या मामले और उन्नाव दुष्कर्म मामले को संभाला है। अतिरिक्त निदेशक मीना अब 25 अधिकारियों की एक टीम की प्रभारी हैं और पर्यवेक्षी क्षमता में काम करेंगी।
राज्य ब्यूरो, कोलकाता। कोलकाता की डॉक्टर के दुष्कर्म -हत्या मामले की जांच की जिम्मेदारी सीबीआइ की दो शीर्ष महिला अधिकारियों को सौंपी गई है, जिन्होंने पहले भी ऐसे कुछ गंभीर मामलों को काफी सफलता के साथ संभाला है। हाथरस दुष्कर्म-हत्या मामले और उन्नाव दुष्कर्म मामले को संभालने वाली झारखंड की 1994 बैच की आइपीएस अधिकारी संपत मीना के पास इसका पूरा प्रभार है। उनके साथ अधिकारी सीमा पाहुजा हैं, जो हाथरस जांच दल का भी हिस्सा थीं।
कौन हैं दो महिला शीर्ष अधिकारी?
अतिरिक्त निदेशक मीना अब 25 अधिकारियों की एक टीम की प्रभारी हैं और पर्यवेक्षी क्षमता में काम करेंगी। जमीनी स्तर की जांच पाहुजा द्वारा की जाएगी, जिन्होंने हिमाचल प्रदेश में कक्षा 10 की छात्रा के दुष्कर्म-हत्या के मामले में दोषसिद्धि हासिल की थी, जिसे तब तक एक ब्लाइंड केस माना जाता था।
2017 का गुड़िया मामला
2017 के गुड़िया मामले ने पहाड़ी राज्य को झकझोर कर रख दिया था। किशोरी स्कूल से लौटते समय लापता हो गई थी। रास्ता घने जंगल के रास्ते से होकर जाता था, जहां उसका अपहरण कर लिया गया था। दो दिन बाद उसका शव मिला था। उसके साथ दुष्कर्म किया गया था और गला घोंटकर हत्या की गई थी। लकड़हारे अनिल कुमार को दोषी पाया गया और 2021 में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई।उन्नाव दुष्कर्म मामले को भी संभाला
अप्रैल 2018 में सीबीआइ ने खुलासा किया था कि पाहुजा ने वंशावली मिलान की उन्नत डीएनए तकनीक का उपयोग करके मामले को कैसे सुलझाया। 1000 से अधिक स्थानीय लोगों से पूछताछ करने के बाद उन्होंने आखिरकार 250 से अधिक लोगों के डीएनए का परीक्षण किया और आरोपित के पिता के फोरेंसिक नमूनों से मिलान पाया। बेटा, जो जमानत पर बाहर था और फरार था, बाद में उसका पता लगा लिया गया। 2017 के उन्नाव दुष्कर्म मामले में भी टीम ने दोषसिद्धि हासिल की थी।
भाजपा नेता और स्थानीय विधायक कुलदीप सिंह सेंगर जिन्हें बाद में पार्टी से निकाल दिया गया था, को 17 वर्षीय दलित लड़की के साथ सामूहिक दुष्कर्म के लिए जेल में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। उन्हें न्यायिक हिरासत में लड़की के पिता की मौत का भी दोषी पाया गया, जिसके लिए वह 10 साल की जेल की सजा काट रहे हैं।
हाथरस मामले में भी की जांच
2020 के हाथरस मामले में, जिसने पूरे देश में सुर्खियां बटोरीं और बड़े पैमाने पर सार्वजनिक आक्रोश पैदा किया, एक 19 वर्षीय लड़की पर कथित रूप से तथाकथित उच्च जाति के चार लोगों द्वारा सामूहिक दुष्कर्म किया गया। एक पखवाड़े बाद, उसने दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में दम तोड़ दिया। लोगों के आक्रोश को और बढ़ाने वाली बात यह थी कि उत्तर प्रदेश पुलिस और प्रशासन ने कथित तौर पर उसके परिवार की सहमति या उपस्थिति के बिना उसके शव का अंतिम संस्कार कर दिया।
मामले के चार आरोपितो में से तीन को बरी कर दिया गया है। चौथे, संदीप ठाकुर को दुष्कर्म या हत्या के लिए नहीं बल्कि गैर इरादतन हत्या के लिए दोषी ठहराया गया है। अदालत ने महिला के बयान और फोरेंसिक साक्ष्य के बीच बेमेल के आधार पर अपना फैसला सुनाया था। पुलिस ने दावा किया था कि दुष्कर्म का कोई सबूत नहीं था और महिला की मौत गर्दन की चोट से हुई थी।
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