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Lok sabha Election Result 2024: बंगाल में महिलाओं ने TMC पर बरसाई 'ममता', दीदी को आधी आबादी और अल्पसंख्यकों का मिला भरपूर समर्थन

Lok sabha Election Result 2024 लोकसभा चुनाव के नतीजों ने एक बार फिर स्पष्ट कर दिया है कि बंगाल की राजनीति में महिलाओं व मुस्लिमों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। बंगाल में भाजपा- विरोधी दलों में गठबंधन नहीं हो पाने से मुस्लिमों का वोट बंटने की प्रबल संभावना बनी थी लेकिन यह एकतरफा तृणमूल की ओर गया है।

By Jagran News Edited By: Sonu Gupta Updated: Tue, 04 Jun 2024 09:05 PM (IST)
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बंगाल में महिलाओं ने TMC पर बरसाई 'ममता'। फाइल फोटो।

विशाल श्रेष्ठ, कोलकाता। Lok sabha Election Result 2024: लोकसभा चुनाव के नतीजों ने एक बार फिर स्पष्ट कर दिया है कि बंगाल की राजनीति में महिलाओं व मुस्लिमों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। इतिहास गवाह है कि बंगाल में जिस भी पार्टी को इन दोनों का समर्थन मिला है, उसने दिल्ली तक परचम लहराया है। राज्य में चुनाव-दर-चुनाव महिला मतदाताओं की संख्या के साथ मतदान में उनकी भागीदारी भी बढ़ती गई है।

महिलाओं ने इस मामले में पुरुषों को छोड़ा था पीछे

2021 के विधानसभा (विस) चुनाव में महिलाओं ने मतदान के मामले में पुरुषों को पीछे छोड़ दिया था। 82.35 प्रतिशत महिलाओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था, जबकि पुरुषों का वोट प्रतिशत 82.24 प्रतिशत रहा था। बंगाल में वर्तमान में कुल 7.58 करोड़ मतदाता हैं, जिनमें 3.85 करोड़ पुरुष तो 3.73 करोड़ महिलाएं हैं।

महिलाओं ने खुलकर बरसाई TMC पर 'ममता'

बंगाल में 18-19 आयु वर्ग की महिला मतदाताओं की संख्या 6.57 लाख हो गई है। इस बार 2.52 लाख महिलाएं नई मतदाता के तौर पर जुड़ीं। समग्र तौर पर बंगाल की कुल आबादी का 49 प्रतिशत महिलाएं हैं। इसके एक बड़े हिस्से ने खुलकर तृणमूल कांग्रेस पर 'ममता' बरसाई है।

बेअसर रहा संदेशखाली मुद्दा

भाजपा ने चुनाव में संदेशखाली में महिलाओं के यौन उत्पीड़न के मामले को बड़ा मुद्दा बनाकर आधी आबादी का समर्थन पाने की पूरी कोशिश की। संदेशखाली में प्रतिवाद का चेहरा बनकर उभरीं रेखा पात्र को बशीरहाट संसदीय क्षेत्र से अपना प्रत्याशी भी बनाया। दूसरी तरफ तृणमूल लगातार इसे 'सजाई हुई घटना' करार देती रही। चुनावी नतीजे देखें तो संदेशखाली मुद्दा ही नहीं बन पाया। इसका बशीरहाट समेत समूचे बंगाल में कोई असर नहीं दिखा और रेखा पात्र को भी हार का सामना करना पड़ा।

 कारगर साबित हुई 'लक्ष्मी भंडार' योजना

ममता बनर्जी को महिलाओं का समर्थन मिलने की एक बड़ी वजह 'लक्ष्मी भंडार' योजना है, जिसके तहत तृणमूल सरकार की ओर से सामान्य वर्ग की महिलाओं को प्रतिमाह 1,000 व एसटी/एसटी वर्ग की महिलाओं को 1200 रुपये दिए जाते हैं। पिछले विधानसभा चुनाव के बाद यह योजना शुरू की गई थी।

आरंभ में सामान्य वर्ग की महिलाओं को प्रतिमाह 500 व एसटी/एसटी वर्ग की महिलाओं को 1,000 रुपये दिए जाते थे। लोस चुनाव की घोषणा से ठीक पहले इसे बढ़ाकर क्रमश: 1000 व 1200 रुपये कर दिया गया, जो ममता का मास्टरस्ट्रोक साबित हुआ है। बंगाल में इस योजना के दो करोड़ से अधिक लाभार्थी हैं।

तृणमूल को एकतरफा मिला मुस्लिमों का वोट

बंगाल में भाजपा-विरोधी दलों में गठबंधन नहीं हो पाने से मुस्लिमों का वोट बंटने की प्रबल संभावना बनी थी, लेकिन यह एकतरफा तृणमूल की ओर गया है। बंगाल में 30 प्रतिशत से अधिक मुस्लिम मतदाता हैं। 16-17 लोस सीटें ऐसी हैं, जहां वह निर्णायक भूमिका में हैं।

मालूम हो कि वाममोर्चा ने मुस्लिम वोट बैंक के बूते ही बंगाल में 34 साल राज किया था। उसके बाद मुसलमान तृणमूल की ओर झुकें तो ममता अब तक तीन बार मुख्यमंत्री बन चुकी हैं। मुस्लिम वोट बैंक को देखते हुए भाजपा-विरोधी सभी दलों ने मुस्लिम प्रत्याशियों पर विशेष जोर दिया था। ममता ने बहरमपुर से पूर्व क्रिकेटर यूसुफ पठान को टिकट देकर सबको चौंकाया था। तृणमूल ने कई और मुस्लिम प्रत्याशी भी उतारे थे।

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