23 साल बाद परिवार से मिला सुपर साइक्लोन में बिछड़ा शख्स, याददाश्त खोकर पहुंच गए थे पड़ोसी राज्य आंध्र प्रदेश
1999 में ओडि़शा में सुपर साइक्लोन में परिवार से बिछड़ गए थे। वेस्ट बंगाल रेडियो क्लब की मदद से परिवार का पता लगाया गया। स्टालिन ने मिशनरीज आफ चैरिटी से संपर्क किया। नेटवर्क के जरिए गहरी खोजबीन के बाद पता लगाया। घर लेजाने की औपचारिकताएं पूरी करनी शुरू की है।
By Jagran NewsEdited By: Vijay KumarUpdated: Sun, 20 Nov 2022 09:04 PM (IST)
राज्य ब्यूरो, कोलकाता : ओडि़शा के तटीय इलाकों में 1999 में आए सुपर साइक्लोन में बिछड़े एक शख्स का 23 साल बाद अपने परिवार से पुनर्मिलन हुआ है। कृति चंद्र बरालकी उम्र अब 80 को पार कर गई है। सुपर साइक्लोन में 10,000 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी। कृति चंद्र बरालके परिवारवालों ने उन्हें लापता पाकर मृत मान लिया था। साइक्लोन की चपेट में आकर कृति चंद्र की याददाश्त चली गई थी और वह इधर-उधर भटकते हुए पड़ोसी राज्य आंध्र प्रदेश के विशाखात्तनम पहुंच गए थे और वहीं एक फुटपाथ पर रहते थे। एजे स्टालिन नामक नगर सेवक प्रतिदिन अपनी कार से वहां आते थे और कृति चंद्र को खाना खिलाते थे। अपनी कार की हार्न बजाते थे। कृति चंद्र उनके पास आकर खाने का पैकेट ले जाते थे। ऐसा तीन साल तक चला। 2012 में एक दिन स्टालिन जब अपनी कार से आए और हार्न बजाई तो कृति चंद्र उनके पास नहीं आए। स्टालिन अपनी कार से उतरे और उन्हें तलाशने लगे। उन्हें फुटपाथ पर कृति चंद्र बीमार हालत में पड़े मिले।
स्टालिन ने मिशनरीज आफ चैरिटी से संपर्क किया
इसके बाद स्टालिन ने मिशनरीज आफ चैरिटी से संपर्क किया और उससे उनकी देखभाल का दायित्व लेने का अनुरोध किया। जरुरी अनुमोदन के बाद मिशनरीज ने कृति चंद्र की देखभाल का जिम्मा लिया। इसके बाद उनकी हालत में सुधार हुआ लेकिन याददाश्त नहीं लौटी। कृति चंद्र अक्सर आंध्र प्रदेश के बंदरगाह शहर श्रीकाकुलम का नाम लिया करते थे। मिशनरीज ने उन्हें श्रीकाकुलम के पास स्थित अपने सेंटर में स्थानांतरित कर दिया। मिशनरीज को उम्मीद थी कि वहां कोई उन्हें पहचान लेगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
नेटवर्क के जरिए गहरी खोजबीन के बाद पता लगाया
इसके बाद वेस्ट बंगाल रेडियो क्लब की मदद ली गई, जो लापता लोगों को उनके स्वजनों से मिलवाने में मदद करती है। वेस्ट बंगाल रेडियो क्लब के सचिव अंबरीश नाग बिश्वास ने बताया-'हमें दो दिन पहले मिशनरीज से काल आया। हम पहले भी मिशनरीज की देखभाल में रह रहे लोगों को उनके परिवार से मिलाने में मदद कर चुके हैं। जब हमने पता लगाना शुरू किया तो हमें कृति चंद्र का नाम तक नहीं मालूम था। अपने नेटवर्क के जरिए गहरी खोजबीन के बाद हमने अंतत: ओडि़शा के पुरी के बामानला, पातीग्राम में बराल परिवार का पता लगाया।घर ले जाने की औपचारिकताएं पूरी करनी शुरू की है
कृति चंद्र के तीन बेटे हैं। उनमें से एक की आंखें खराब हो चुकी हैं। बाकी दोनों बेटे अपने पिता की तस्वीर देखकर हैरान हो गए और रोने लगे। वे एक संपन्न परिवार से हैं। बेटों ने बताया कि सुपर साइक्लोन में पिता के लापता होने के बाद उन्होंने उन्हें मृत समझ लिया था। प्राथमिक तौर पर अनुमान है कि सुपर साइक्लोन की चपेट में आकर याददाश्त खोने के बाद कृति चंद्र पहले किसी तरह श्रीकाकुलम पहुंच गए थे इसलिए उन्हें वह नाम याद था। उसके बाद वहां से विशाखापत्तनम आए थे। अंबरीश नाथ बिश्वास ने बताया कि बेटों ने पिता को घर ले जाने की औपचारिकताएं पूरी करनी शुरू कर दी है।
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