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'मणिपुर के लोगों की रक्षा करें पीएम मोदी', इरोम शर्मिला बोलीं- वायरल वीडियो देख नहीं रोक सकी अपने आंसू

मणिपुर में इंसानियनत को शर्मसान करने वाली घटनाओं ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया। इस बीच मणिपुर की बेटी इरोम शर्मिला ने भी प्रतिक्रिया दी है। इरोम शर्मिला ने कहा कि वह उस वीडियो क्लिप को देखने के बाद अपने आंसू नहीं रोक सकीं जिसमें 4 मई को पूर्वोत्तर राज्य के कांगपोकपी जिले में एक समूह द्वारा दो महिलाओं को नग्न घुमाया और उनके साथ छेड़छाड़ की गई थी।

By AgencyEdited By: Mohd FaisalUpdated: Sun, 23 Jul 2023 02:45 PM (IST)
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'मणिपुर के लोगों की रक्षा करें पीएम मोदी', इरोम शर्मिला (फाइल फोटो)
कोलकाता, एजेंसी। मणिपुर में इंसानियनत को शर्मसान करने वाली घटनाओं ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया। इन घटनाओं की पीएम मोदी से लेकर कई विपक्षी दलों के नेताओं ने भी निंदा की। इस बीच मणिपुर की बेटी इरोम शर्मिला ने भी प्रतिक्रिया दी है।

इरोम शर्मिला ने दो आदिवासी महिलाओं को निर्वस्त्र कर सड़क पर घुमाये जाने की घटना को अमानवीय बताया। उन्होंने पीएम मोदी से उनके गृह राज्य मणिपुर में स्थिति से निपटने के लिए हस्तक्षेप करने का आग्रह किया है।

वायरल वीडियो पर क्या बोलीं इरोम शर्मिला

इरोम शर्मिला ने कहा कि वह उस वीडियो क्लिप को देखने के बाद अपने आंसू नहीं रोक सकीं, जिसमें 4 मई को पूर्वोत्तर राज्य के कांगपोकपी जिले में पुरुषों के एक समूह द्वारा दो महिलाओं को नग्न घुमाया और उनके साथ छेड़छाड़ की गई थी।

शर्मिला ने बेंगलुरु में पीटीआई को दिए एक विशेष इंटरव्यू में कहा कि यह अमानवीय और काफी परेशान करने वाली घटना है। जो वीडियो मुझे मिला है, उसे देखकर मैं अपने आंसू नहीं रोक पाई। मैं बहुत दुखी और स्तब्ध हूं।

क्यों चुप हैं प्रधानमंत्री- इरोम शर्मिला

उन्होंने कहा कि यह स्पष्ट है कि मणिपुर में राज्य सरकार पूरी तरह से विफल रही है और जब कोई राज्य स्थिति को नियंत्रित नहीं कर सकता है, तो प्रधानमंत्री चुप क्यों हैं? उन्हें मणिपुर के लोगों की रक्षा करनी चाहिए। अगर उन्हें मणिपुर के लोगों की पीड़ा की चिंता है तो उन्हें हस्तक्षेप करना चाहिए। गुजरात के लोगों की तरह मणिपुरियों को भी उनके नेतृत्व की आवश्यकता है।

अपनी विफलता स्वीकार करें सीएम बीरेन सिंह

मणिपुर की आयरन लेडी ने मांग की है कि मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह को अपनी विफलता स्वीकार करनी चाहिए और लोगों से माफी मांगनी चाहिए। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री को मतभेदों को किनारे रखकर सभी 60 विधायकों से बात करनी चाहिए। उन्हें उनसे एक-एक करके बात करनी चाहिए और उनकी राय पर विचार करना चाहिए और तय करना चाहिए कि दोनों समुदायों (मैतेई और कुकी) के बीच नफरत की भावना को कैसे रोका जाए। यह समय की जरूरत है।

19 जुलाई को वायरल हुआ था वीडियो

बता दें कि 19 जुलाई को सामने आए इस वीडियो की देशभर में निंदा हुई। इसके बाद से पुलिस छह लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है। शर्मिला ने यह भी महसूस किया कि जातीय हिंसा प्रभावित राज्य मणिपुर में फर्जी खबरों और वीडियो के प्रसार को रोकने के लिए इंटरनेट पर प्रतिबंध से मणिपुर की स्थिति में मदद नहीं मिली है।

दोषियों को मिले कठोर सजा

उन्होंने कहा कि मुझे नहीं लगता कि इंटरनेट पर प्रतिबंध से मणिपुर में हिंसा को नियंत्रित करने में मदद मिली है। इसके विपरीत अगर इंटरनेट काम कर रहा होता तो पीड़िताओं को न्याय मिल सकता था और अपराधी सलाखों के पीछे होते। शर्मिला ने मांग की है कि दोषियों को कठोर कारावास और बिना पैरोल के आजीवन कारावास की सजा दी जानी चाहिए।

3 मई को भड़की थी मणिपुर में जातीय हिंसा

बता दें कि 3 मई को राज्य में जातीय हिंसा भड़कने के बाद से 160 से अधिक लोगों की जान चली गई है और कई घायल हुए हैं। मणिपुर की आबादी में मैतेई लोगों की संख्या लगभग 53 प्रतिशत है और वे ज्यादातर इम्फाल घाटी में रहते हैं, जबकि आदिवासी जिनमें नागा और कुकी शामिल हैं, उनकी आबादी 40 प्रतिशत हैं और वह ज्यादातर पहाड़ी जिलों में रहते हैं।

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