Medha Patkar In Kolkata: सीएए व एनआरसी के खिलाफ एक हों वामो-तृणमूल: मेधा पाटकर
Medha Patkar In Kolkata. मेधा पाटकर ने सीएए और एनआरसी के खिलाफ लड़ाई में तृणमूल और वामपंथी दलों को साथ मिल मैदान में उतरने की अपील की।
By Sachin Kumar MishraEdited By: Updated: Wed, 22 Jan 2020 06:00 PM (IST)
कोलकाता, जागरण संवाददाता। Medha Patkar In Kolkata. नागरिकता संशोधन कानून व राष्ट्रीय नागरिक पंजी के विरोध को कोलकाता आई सुप्रसिद्ध समाजसेवी मेधा पाटकर ने पार्क सर्कस मैदान में इस कानून के खिलाफ धरने पर बैठी महिलाओं के साथ मंच साझा कर केंद्र की मोदी सरकार पर निशाना साधा। साथ ही, इस कानून के विरोध में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के उतरने की प्रशंसा की।
उन्होंने कहा कि राज्य को यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि यहां किसी भी कीमत पर एनपीआर न हो। उन्होंने नागरिकता संशोधन कानून और राष्ट्रीय नागरिक पंजी के खिलाफ लड़ाई में तृणमूल और वामपंथी दलों को साथ मिल मैदान में उतरने की अपील की। दरअसल, अखिल भारतीय महिला सांस्कृतिक संगठन के चतुर्थ सम्मेलन में हिस्सा लेने को कोलकाता आई मेधा पाटकर ने पैदल यात्रा कर लोगों को नागरिकता संशोधन कानून और राष्ट्रीय नागरिक पंजी के खिलाफ एकजुट हो लड़ाई जारी रखने का आह्वान किया।
वहीं ,रामलीला मैदान से नारी शक्ति की प्रशंसा करते हुए उन्होंने कहा कि जब सिंगूर और नंदीग्राम में महिलाओं पर हमले हुए, तब भी आपने विरोध किया था। जब महिलाएं आंदोलन को उतरती हैं तो उसे कोई दबा नहीं पाता है।
27 को बंगाल विस में पारित होगा सीएए के खिलाफ प्रस्ताव
सीएए के खिलाफ कई राज्यों में लगातार धरना प्रदर्शन हो रहा है। केरल और पंजाब विधानसभा में सीएए विरोधी प्रस्ताव पारित किया जा चुका है। अब पश्चिम बंगाल विधानसभा में 27 जनवरी को इस कानून के खिलाफ पारित करने की तैयारी मंगलवार को पूरी कर ली गई। प्रस्ताव पारित करने को विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया गया है। तृणमूल कांग्रेस प्रमुखव मुख्यमंत्री ममता बनर्जी शुरू से ही इस कानून का विरोध कर रही हैं। राज्य के विभिन्न हिस्सों में एक दर्जन से अधिक रैलियां व जुलूस निकाल चुकी हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समक्ष भी इस कानून को वापस लेने की मांग कर चुकी है। हालांकि, वह विधानसभा में प्रस्ताव पारित करने को राजी नहीं थी। परंतु, सोमवार को अचानक उत्तर बंगाल के दौरे पर रवाना होने के क्रम में कोलकाता एयर पोर्ट पर इसकी घोषणा करदी और उसी अनुसाल संसदीय कार्यमंत्री पार्थ चटर्जी ने मंगलवार को संवाददाता सम्मेलन कर घोषणा की कि 27 जनवरी को दोपहर 2 बजे सीएए के खिलाफ विधानसभा में प्रस्ताव पेश होगा।
सीएए के खिलाफ कई राज्यों में लगातार धरना प्रदर्शन हो रहा है। केरल और पंजाब विधानसभा में सीएए विरोधी प्रस्ताव पारित किया जा चुका है। अब पश्चिम बंगाल विधानसभा में 27 जनवरी को इस कानून के खिलाफ पारित करने की तैयारी मंगलवार को पूरी कर ली गई। प्रस्ताव पारित करने को विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया गया है। तृणमूल कांग्रेस प्रमुखव मुख्यमंत्री ममता बनर्जी शुरू से ही इस कानून का विरोध कर रही हैं। राज्य के विभिन्न हिस्सों में एक दर्जन से अधिक रैलियां व जुलूस निकाल चुकी हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समक्ष भी इस कानून को वापस लेने की मांग कर चुकी है। हालांकि, वह विधानसभा में प्रस्ताव पारित करने को राजी नहीं थी। परंतु, सोमवार को अचानक उत्तर बंगाल के दौरे पर रवाना होने के क्रम में कोलकाता एयर पोर्ट पर इसकी घोषणा करदी और उसी अनुसाल संसदीय कार्यमंत्री पार्थ चटर्जी ने मंगलवार को संवाददाता सम्मेलन कर घोषणा की कि 27 जनवरी को दोपहर 2 बजे सीएए के खिलाफ विधानसभा में प्रस्ताव पेश होगा।
वाम व कांग्रेस ने की थी मांग इससे पहले नौ जनवरी को एससी-एसटी बिल को लेकर विधानसभा की विशेष सत्र बुलाई गई थी। इस सत्र में विपक्षी कांग्रेस और वाममोर्चा की ओर से सीएए के खिलाफ प्रस्ताव लाने की मांग की गई गई थी, लेकिन तृणमूल की ओर से इसे मंजूरी नहीं दी गई क्योंकि यह सत्र के लिए पहले से सूची में शामिल नहीं था। हालांकि, मंगलवार को पार्थ चटर्जी ने दावा किया कि उन्होंने वामो और कांग्रेस से पहले ही विधानसभा अध्यक्ष को ऐसा इस बाबत प्रस्ताव भेजा था, लेकिन यह मामला बीते सत्र में नहीं उठाया जा सका क्योंकि सत्र एससी-एसटी विधेयक को पारित करने के लिए बुलाया गया था। पार्थ ने कहा कि पहले कौन यह सवाल नहीं है हम 27 जनवरी को सीएए-एनपीआर-एनआरसी के खिलाफ प्रस्ताव लाएंगे विपक्षी कांग्रेस और वाममोर्चा से समर्थन को लेकर आग्रह है।
दौरे से लौट सीएम करेंगी बैठक इससे पहले सीएए के खिलाफ लगातार मुखर तृणमूल प्रमुख ने सोमवार को कहा था कि उत्तर बंगाल से लौट कर वे इस पर विपक्षी दलों के साथ बैठक करेंगी। साथ ही, एनपीआर पर मंथन को विपक्षी दलों को कोलकाता आने का न्योता भी दिया था। उधर, पहले से ही सीएए के खिलाफ प्रस्ताव की मांग कर रहे विपक्षी वाममोर्चा और कांग्रेस ने तृणमूल सरकार के इस कदम का स्वागत किया है।
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