Mamata Banerjee: 'राज्यपाल पर मेरी टिप्पणी अपमानजनक नहीं', ममता बनर्जी ने कोर्ट में दी ये दलील; जानिए क्या है पूरा मामला
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अपने उस बयान पर दृढ़ता से कायम रहीं जिसमें उन्होंने कहा था कि महिलाओं ने कोलकाता में राजभवन जाने को लेकर डर व्यक्त किया है। उन्होंने राज्यपाल सी.वी. नड्डा द्वारा कलकत्ता उच्च न्यायालय में दायर याचिका का विरोध किया। सीएम ममता बनर्जी के दलील में कहा गया कि सार्वजनिक हित के मुद्दों पर एक निष्पक्ष टिप्पणी थी और यह मानहानिकारक नहीं थी।
राज्य ब्यूरो, कोलकाता। बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी सोमवार को अपने इस बयान पर दृढ़ता से कायम रहीं कि महिलाओं ने कोलकाता में राजभवन में जाने को लेकर डर जाहिर किया था। ममता ने मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस के अन्य नेताओं के खिलाफ दायर मानहानि के मुकदमे में अंतरिम आदेश के लिए राज्यपाल सीवी आनंद बोस की ओर से कलकत्ता हाई कोर्ट के समक्ष दाखिल याचिका का विरोध भी किया।
ममता के वकील एसएन मुखर्जी ने न्यायमूर्ति कृष्ण राव के समक्ष दलील दी कि मुख्यमंत्री की टिप्पणी सार्वजनिक हित के मुद्दों पर एक निष्पक्ष टिप्पणी थी और यह मानहानिकारक नहीं थी। मुख्यमंत्री के अपने बयान पर कायम रहने की बात कहते हुए मुखर्जी ने दलील दी कि उन्होंने केवल राजभवन में कुछ कथित गतिविधियों पर महिलाओं की आशंकाओं को प्रतिध्वनित किया था।
बोस के खिलाफ महिला कर्मचारी के साथ छेड़खानी का है आरोप
मुखर्जी ने कहा कि वह हलफनामे में उन महिलाओं के नाम बताने को तैयार हैं, जिन्होंने ऐसी आशंका जाहिर की है। दो मई को राजभवन में कार्यरत एक संविदा महिला कर्मचारी ने बोस के खिलाफ छेड़खानी का आरोप लगाया था, जिसके बाद कोलकाता पुलिस ने मामले की जांच शुरू की थी। संविधान के अनुच्छेद 361 के तहत किसी राज्यपाल के खिलाफ उसके कार्यकाल के दौरान कोई आपराधिक कार्यवाही शुरू नहीं की जा सकती है।यह भी पढ़ें- 'पायल से 15 साल से अलग रह रहे हैं, तलाक की मंजूरी दे दीजिए'; SC में सिब्बल ने की अब्दुल्ला की पैरवीयह भी पढ़ें- 'कर्नाटक ये अच्छा नहीं कर रहा...', कावेरी जल विवाद को लेकर नाराज हुए तमिलनाडु के सीएम, विधायक दल की बुलाई बैठक
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