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NHRC ने माना संदेशखाली में हुआ था मानवाधिकार उल्लंघन, जांच रिपोर्ट में सिफारिशों पर आठ हफ्ते में मांगी रिपोर्ट

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने बंगाल के संदेशखाली में हुई हिंसा मामले की मौके पर पहुंचकर की गई जांच में अत्याचार की कई घटनाओं को चिह्नित किया है और कहा कि यह इंगित करता है कि इसकी रोकथाम में लापरवाही के कारण मानवाधिकारों का उल्लंघन हुआ है। आयोग ने जांच रिपोर्ट में कहा है कि भय की वजह से लोगों ने अपनी शिकायतें दर्ज नहीं करवाईं।

By Jagran News Edited By: Abhinav Atrey Updated: Sat, 13 Apr 2024 06:26 PM (IST)
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जांच रिपोर्ट में की गई सिफारिशों पर राज्य सरकार से मांगी कार्रवाई रिपोर्ट। (फाइल फोटो)

राज्य ब्यूरो, कोलकाता। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने बंगाल के संदेशखाली में हुई हिंसा मामले की मौके पर पहुंचकर की गई जांच में अत्याचार की कई घटनाओं को चिह्नित किया है और कहा कि यह इंगित करता है कि इसकी रोकथाम में लापरवाही के कारण मानवाधिकारों का उल्लंघन हुआ है।

आयोग ने इसपर चिंता जताते हुए अपनी जांच रिपोर्ट में यह भी कहा है कि प्रतिशोध के व्यापक भय के साथ ही ताकत दिखाने के खेल ने एक दुर्जेय बाधा के रूप में काम किया जिसने लोगों को अपनी शिकायतें दर्ज कराने से रोका। एनएचआरसी ने शनिवार को एक बयान में कहा कि आयोग ने कई सिफारिशें की हैं और प्रत्येक सिफारिश पर बंगाल सरकार से आठ सप्ताह के भीतर कार्रवाई रिपोर्ट मांगी है।

जांच में पीड़ितों के साथ हुए अत्याचार का खुलासा हुआ

इसमें कहा गया है कि घटनास्थल पर जाकर की गई आयोग की जांच से पीड़ितों के साथ हुए अत्याचार की कई घटनाओं का खुलासा हुआ है जो साफ तौर पर दर्शाता है कि प्रथम दृष्टया लोक सेवक द्वारा ऐसे उल्लंघन को रोकने में लापरवाही के कारण मानवाधिकारों का उल्लंघन हुआ। आयोग ने अपनी जांच की रिपोर्ट राज्य के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) को भेजी है।

अत्याचारों के कारण बने माहौल ने पीड़ितों को चुप कराया

रिपोर्ट में कहा गया है कि कथित आरोपी व्यक्तियों के अत्याचारों के कारण बने माहौल ने पीड़ितों को चुप करा दिया और डराने-धमकाने तथा आतंक ने उन्हें न्याय मांगने के प्रति अनिच्छुक बना दिया। यह भी कहा कि डर का माहौल न केवल पीड़ितों पर असर डालता है बल्कि उन बच्चों के विकास और स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक असर डालता है जो लगातार इन कथित आरोपितों के हाथों अपने माता-पिता के उत्पीड़न को देखते हैं।

महिलाओं को प्रताड़ित किया गया

आयोग ने 21 फरवरी को प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में आई उन खबरों पर संज्ञान लिया था जिनमें आरोप लगाया गया कि बंगाल के उत्तर 24 परगना के संदेशखाली में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के निलंबित नेता शाहजहां शेख और उसके समर्थकों द्वारा निर्दोष और गरीब महिलाओं को प्रताड़ित और उनका यौन उत्पीड़न किया गया है।

व्यापक विरोध-प्रदर्शन शुरू हुए

इसके परिणामस्वरूप, स्थानीय ग्रामीणों व महिलाओं ने अत्याचार में शामिल गुंडों और असामाजिक तत्वों (शाहजहां और उसके करीबियों) की गिरफ्तारी उनके खिलाफ उचित कानूनी कार्रवाई की मांग करते हुए व्यापक विरोध-प्रदर्शन शुरू कर दिया था।

मामले में कई नेता गिरफ्तार

बयान के अनुसार आयोग के दल ने संदेशखाली में पुलिस और प्रशासन से भी बातचीत की तथा उनसे और जानकारी देने का अनुरोध किया लेकिन कई बार याद दिलाने के बावजूद अभी तक कोई जवाब नहीं दिया गया है। पुलिस ने संदेशखाली मामले में मुख्य आरोपित तृणमूल के निलंबित नेता शाहजहां शेख, शिबप्रसाद हाजरा, उत्तम सर्दार समेत कई नेताओं को गिरफ्तार किया था। शाहजहां फिलहाल सीबीआई की हिरासत में है।

हाई कोर्ट ने सीबीआई जांच के दिए हैं आदेश

उल्लेखनीय है कि कलकत्ता हाई कोर्ट ने बीते बुधवार को ही संदेशखाली में जमीन हड़पने, दुष्कर्म, महिलाओं से दुव्र्यवहार, कृषि भूमि को झींगा पालन केंद्र में तब्दील करने के मामलों की सीबीआइ जांच के आदेश दिए हैं। हाई कोर्ट जांच प्रक्रिया की निगरानी भी करेगा। हाई कोर्ट के आदेश के बाद ईडी ने शाहजहां की 12 करोड़ 78 लाख की संपत्ति भी जब्त कर ली है।

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