Kolkata: शिक्षा विभाग भर्ती घोटाले में पूर्व जज गंगोपाध्याय को राहत नहीं, फैसले को रद करने के लिए HC में याचिका
याचिका उन अभ्यर्थियों के एक वर्ग द्वारा दायर की गई है जिनकी रिश्वत व अन्य अनुचित तरीकों से स्कूल की नौकरियां हासिल करने के कारण समाप्त कर दी गई थीं। याचिका न्यायमूर्ति देबांग्शु बसाक और न्यायमूर्ति शब्बर रशीदी की खंडपीठ के समक्ष दायर की गई है। नौकरी गंवाने वाले लोगों ने पूर्व न्यायाधीश अभिजीत गंगोपाध्याय द्वारा दिए गए सभी फैसलों को रद करने की गुहार लगाई गई है।
राज्य ब्यूरो, कोलकाता। कलकत्ता हाई कोर्ट में एक नई याचिका दायर की गई है। जिसमें शिक्षा विभाग में भर्ती घोटाले के मामले में हाई कोर्ट के न्यायाधीश रहते हुए अभिजीत गंगोपाध्याय द्वारा दिए गए फैसलों और आदेशों को रद करने की मांग की गई है।
याचिका उन अभ्यर्थियों के एक वर्ग द्वारा दायर की गई है, जिनकी रिश्वत व अन्य अनुचित तरीकों से स्कूल की नौकरियां हासिल करने के कारण समाप्त कर दी गई थीं। याचिका न्यायमूर्ति देबांग्शु बसाक और न्यायमूर्ति शब्बर रशीदी की खंडपीठ के समक्ष दायर की गई है। याचिका में माध्यमिक और उच्च माध्यमिक शिक्षकों के साथ-साथ ग्रुप-सी और ग्रुप-डी श्रेणियों के गैर-शिक्षण कर्मचारियों के संबंध में पूर्व न्यायाधीश अभिजीत गंगोपाध्याय द्वारा दिए गए सभी फैसलों को रद करने की गुहार लगाई गई है।
'स्कूल नौकरी मामले में उनके द्वारा दिए गए फैसले पक्षपातपूर्ण'
इस मामले पर गुरुवार को ही सुनवाई होने की उम्मीद है। कलकत्ता हाई कोर्ट के वरिष्ठ वकील और तृणमूल कांग्रेस के लोकसभा सांसद कल्याण बंद्योपाध्याय याचिकाकर्ताओं की ओर से वकील हैं। याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया है कि पूर्व न्यायाधीश गंगोपाध्याय के भाजपा में शामिल होने से यह मानने का पर्याप्त कारण है कि स्कूल नौकरी मामले में उनके द्वारा दिए गए फैसले पक्षपातपूर्ण थे, इसलिए उन्हें रद्द कर दिया जाना चाहिए।'याचिकाकर्ताओं को कानूनी प्रावधानों की जानकारी नहीं'
याचिका में विभिन्न मामलों में सुनवाई के दौरान पूर्व न्यायाधीश गंगोपाध्याय द्वारा की गई कुछ टिप्पणियों का हवाला दिया गया है। पूर्व न्यायाधीश गंगोपाध्याय ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा है कि या तो याचिकाकर्ताओं को कानूनी प्रावधानों की जानकारी नहीं है या वे जानबूझकर अदालत को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं। गंगोपाध्याय ने न्यायाधीश पद से इस्तीफा देकर पांच मार्च को भाजपा में शामिल होने की घोषणा की थी। सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस दावा कर रही है कि यह घटनाक्रम साबित करता है कि स्कूल नौकरी के मामलों में उनके फैसले कितने पक्षपातपूर्ण थे।
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