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WB Assembly: बंगाल में युवा विधायकों की संख्या बढ़ी पर स्नातक पास की घटी, 2016 में 43 प्रतिशत विधायक थे ग्रेजुएट

विधानसभा सचिवालय द्वारा दर्ज विधायकों के आंकड़ों से पता चलता है कि 2016 और 2021 के आंकड़ों की तुलना में युवा विधायकों की भागीदारी अपेक्षाकृत बढ़ी है। विधायक पद के लिए उम्मीदवार बनने के लिए न्यूनतम आयु सीमा 25 वर्ष है लेकिन कोई शैक्षणिक योग्यता मानदंड नहीं है। वहीं इन वर्षों में 55 से 70 वर्ष के लोगों की हिस्सेदारी में गिरावट आई है।

By Jagran News Edited By: Sonu Gupta Updated: Wed, 10 Jul 2024 11:45 PM (IST)
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बंगाल में युवा विधायकों की संख्या बढ़ी। फाइल फोटो।

राज्य ब्यूरो, कोलकाता। बंगाल में बुधवार को विधानसभा की चार सीटों के लिए उपचुनाव हुआ है और छह और के अभी होने हैं। अगर पिछले पांच साल की अवधि में राज्य विधानसभा में युवा विधायकों की संख्या पर नजर डालें तो यह बढ़ी है। बंगाल विधानसभा के आंकड़ों से यह जानकारी सामने आई है, जो बेहद सराहनीय और उत्साहवर्धक है।

यह बात विधानसभा के सभी पार्टियों के विधायक दल भी कही है, लेकिन इसके साथ ही एक और आंकड़ा सामने आया है, जिससे पता चलता है कि इन नए विधायकों में चाहे युवा हों या बुजुर्ग, स्नातक पास की औसत संख्या थोड़ी कम हुई है। कारण क्या है? भाजपा विधायक शंकर घोष के मुताबिक विधायकों में स्नातक पास की संख्या में गिरावट का एकमात्र कारण छात्र राजनीति का कमजोर होना है।

युवा विधायकों की भागीदारी बढ़ी

विधानसभा सचिवालय द्वारा दर्ज विधायकों के आंकड़ों से पता चलता है कि 2016 और 2021 के आंकड़ों की तुलना में युवा विधायकों की भागीदारी अपेक्षाकृत बढ़ी है। विधायक पद के लिए उम्मीदवार बनने के लिए न्यूनतम आयु सीमा 25 वर्ष है। लेकिन कोई शैक्षणिक योग्यता मानदंड नहीं है।

क्या कहते हैं आंकड़े?

आंकड़ों के मुताबिक, 2016 में 25 से 40 की उम्र के विधायकों की हिस्सेदारी 11 प्रतिशत थी। वहीं, 17वीं विधानसभा और 2021 में जीते विधायकों की हिस्सेदारी बढ़कर 14 प्रतिशत हो गई है। फिर, 2016 में 41 से 55 साल के विधायकों की हिस्सेदारी 37 प्रतिशत थी और 2021 में यह हिस्सेदारी बढ़कर 39 प्रतिशत हुई है।

 55 से 70 वर्ष के लोगों क हिस्सेदारी में आई गिरावट

 वहीं, इन वर्षों में 55 से 70 वर्ष के लोगों की हिस्सेदारी में गिरावट आई है, जबकि सत्तर से अधिक उम्र के विधायकों की संख्या में गिरावट आई है। वहीं दूसरी ओर विधानसभा में महिला विधायकों की हिस्सेदारी पहले से काफी बढ़ी है, लेकिन 2016 और 2021 में यह अनुपात जस का तस है। महिला विधायकों की 16 प्रतिशत हैं, जबकि पुरुष शेष 84 प्रतिशत हैं।

स्नातकोत्तर शैक्षणिक योग्यता वाले विधायकों की संख्या घटी

इसके बाद शैक्षणिक योग्यता की जानकारी सामने आई है। ऐसा देखा जा रहा है कि 2021 में 12वीं पास करने वाले विधायकों की संख्या 2016 की तुलना में काफी ज्यादा है। फिर आठवीं और दसवीं पास करने वालों की संख्या भी अधिक है। प्रतिशत के संदर्भ में, बारहवीं कक्षा तक उत्तीर्ण दर 2016 में 32 प्रतिशत थी, यह 2021 में छह प्रतिशत बढ़कर 38 प्रतिशत हो गई।

वहीं, ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट योग्यता वाले विधायकों की संख्या घट गई है। 2016 में 43 प्रतिशत विधायक ग्रेजुएट थे और 2021 में यह चार प्रतिशत घटकर 39 प्रतिशत रह गया है। स्नातकों में दो प्रतिशत की गिरावट आई। 2016 में स्नातकोत्तर या उच्च शैक्षणिक योग्यता वाले विधायकों की संख्या 25 प्रतिशत थी, जो वर्तमान विधानसभा कार्यकाल में दो कम होकर 23 प्रतिशत रह गया है।

संसदीय कार्य मंत्री शोभनदेव चट्टोपाध्याय ने क्या कहा?

युवा विधायकों द्वारा साझा किए गए उत्साह के बावजूद, संसदीय कार्य मंत्री शोभनदेव चट्टोपाध्याय ने कहा कि शैक्षिक योग्यता की कमी का मतलब यह नहीं है कि 10 वीं या 12 वीं कक्षा उत्तीर्ण करने वाला विधायक क्षेत्र के विकास में खराब काम करेगा या वह बहस में भाग नहीं ले सकता है। विधानसभा सत्र में विधानसभा के नियमों को अच्छे से जानता हूं।

उन्होंने याद दिलाया कि कई लोग कह सकते हैं कि विधानसभा में शिक्षा के बारे में थोड़ा और जानना बेहतर है। लेकिन यह भी सच है कि बहुत कम पढ़ा-लिखा लड़का या लड़की भी विधानसभा के बारे में बहुत कुछ जानता है। ऐसे में सबसे अच्छा उदाहरण बालागढ़ विधायक मनोरंजन ब्यापारी हैं।

 उनकी शैक्षणिक योग्यता शून्य है, लेकिन दलित साहित्य में उनके एक के बाद एक लेखन ने उन्हें स्थापित कर दिया। उन्हें 42 राष्ट्रीय और राज्य पुरस्कार मिले। दूसरे शब्दों में, शून्य शैक्षिक या दार्शनिक ज्ञान होने के बावजूद, साहित्य की दुनिया में शिक्षा के क्षेत्र में उनका योगदान बहुत महत्वपूर्ण है।

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