Kolkata Durga Puja: हावड़ा के रामेश्वर मालिया लेन में पद्मावती का महल लोगों को कर रहा आकर्षित
पंडाल को बिल्कुल रानी पद्मावती के महल की तरह बनाया गया है। पंडाल के अंदर से लेकर बाहर तक की पूरी साज-सज्जा पद्मावती महल से मिलती- जुलती है।जायसवाल ने बताया कि लाइटिंग पर भी इस बार विशेष ध्यान दिया गया है।
By Jagran NewsEdited By: PRITI JHAUpdated: Mon, 03 Oct 2022 10:23 AM (IST)
कोलकाता, राजीव कुमार झा। मध्य हावड़ा के रामेश्वर मालिया लेन में दुर्गा पूजा पर बनाया गया पद्मावती का महल इस बार लोगों को खासा आकर्षित कर रहा है। नवयुवक सुधार संघ दुर्गोत्सव कमेटी ने इस बार अपने पूजा पंडाल की थीम रानी पद्मावती के महल को बनाया है। इस पूजा कमेटी के दुर्गा पूजा आयोजन का इस बार 70 वां साल है।
आयोजकों का दावा है कि चतुर्थी के दिन से ही इस पंडाल को देखने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ रही है और हर किसी को इसकी साज- सज्जा आकर्षित कर रही है। पूजा कमेटी के सचिव मनोज जायसवाल ने बताया कि पंडाल को बिल्कुल रानी पद्मावती के महल की तरह बनाया गया है। पंडाल के अंदर से लेकर बाहर तक की पूरी साज-सज्जा पद्मावती महल से मिलती- जुलती है।जायसवाल ने बताया कि लाइटिंग पर भी इस बार विशेष ध्यान दिया गया है।
राजस्थान के चित्तौड़गढ़ में है रानी पद्मावती का महल
बताते चलें कि रानी पद्मावती का महल राजस्थान के प्रसिद्ध चित्तौड़गढ़ का किला में स्थित है। इस किले को सातवीं शताब्दी में बनवाया गया था। यह किला यूनेस्को की वर्ल्ड हेरिटेज साइट में भी शामिल है। राजा रतन सिंह की पत्नी रानी पद्मावती के नाम पर इस महल का नाम रखा गया था। यह महल और किला रानी पद्मावती और राजा रतन सिंह की कभी न भुलाई जा पाने वाली प्रेम कहानी को बयां करता है।रानी पद्मावती को जीतने के लिए राजा रतन सिंह को काफी परीक्षाएं देनी पड़ी थी। इसके बाद वह रानी को जीतकर चित्तौड़गढ़ के किले में लेकर आए थे। इस किले का सबसे आकर्षक हिस्सा सफेद रंग का तीन मंजिला रानी पद्मावती का महल है। यह महल 'पद्मिनी तालाब' की उत्तरी परिधि पर स्थित है। यह महल पानी के बीचों-बीच में बना हुआ है।
चित्तौड़गढ़ की बेहद खूबसूरत रानी थी पद्मावती
रानी पद्मावती चित्तौड़गढ़ की बेहद खूबसूरत रानी थी। उनके बचपन का नाम पद्मिनी था, जिसको पाने के लिए दिल्ली के शासक अलाउद्दीन खिलजी ने चित्तौड़गढ़ किले पर हमला कर दिया था, लेकिन रानी पद्मावती ने अपनी पति की मान मर्यादा और चित्तौड़गढ़ की शान को बनाये रखने के लिए अंत में मौत का रास्ता अपनाया। रानी पद्मावती ने किले के अंदर बने जौहर कुंड में अन्य रानियों व सैकड़ों दासियों के साथ कूदकर अपनी जान दे दी थी। और इस तरह अलाउद्दीन खिलजी रानी पद्मावती को पा नहीं सका। आज भी इतिहास में पद्मावती की पतिव्रता व साहस की चर्चा होती है।पर्यटक जब राजस्थान घूमने जाते हैं तो ऐतिहासिक चित्तौड़गढ़ किले को देखने जरूर जाते हैं। चित्तौड़गढ़ का किला भारत के सबसे बड़े किलों में से एक है।
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