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पार्थ चटर्जी ने 'स्कूल भर्ती घोटाला' मामले में चुप रहने के लिए की मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की आलोचना

मानवाधिकार कार्यकर्ता सुजातो भद्र विचाराधीन राजनीतिक कैदियों की रिहाई की मांग को लेकर आंदोलन का नेतृत्व करने वाले एक अग्रणी चेहरा हैं। कोलकाता की एक विशेष अदालत में पेश किए जाने के बाद मीडियाकर्मियों से बात करते हुए चटर्जी ने भद्र पर निशाना साधा। उन्हें बंगाल में करोड़ों रुपये के स्कूल भर्ती घोटाले में कथित संलिप्तता के आरोप में पिछले साल 23 जुलाई को ईडी ने गिरफ्तार किया था।

By Jagran NewsEdited By: Ashisha Singh RajputUpdated: Mon, 24 Jul 2023 06:24 PM (IST)
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कोलकाता की एक विशेष अदालत में पेश किए जाने के बाद चटर्जी ने भद्र पर निशाना साधा।
कोलकाता, राज्य ब्यूरो। बंगाल के पूर्व मंत्री और तृणमूल कांग्रेस के महासचिव रहे पार्थ चटर्जी ने सोमवार को राज्य के एक मानवाधिकार कार्यकर्ता की उनके मामले में चुप रहने के लिए आलोचना की, जहां उन्होंने उचित सुनवाई के बिना एक साल से अधिक समय सलाखों के पीछे बिताने का दावा किया।

पार्थ चटर्जी ने सुजातो भद्र पर साधा निशाना

मानवाधिकार कार्यकर्ता सुजातो भद्र , विचाराधीन राजनीतिक कैदियों की रिहाई की मांग को लेकर आंदोलन का नेतृत्व करने वाले एक अग्रणी चेहरा हैं। कोलकाता की एक विशेष अदालत में पेश किए जाने के बाद मीडियाकर्मियों से बात करते हुए चटर्जी ने भद्र पर निशाना साधा। उन्हें बंगाल में करोड़ों रुपये के स्कूल भर्ती घोटाले में कथित संलिप्तता के आरोप में पिछले साल 23 जुलाई को ईडी ने गिरफ्तार किया था।

चटर्जी ने पूछे कई सवाल

चटर्जी ने पूछा कि सुजातो भद्र कहां हैं? वे लोग कहां हैं, जो विचाराधीन राजनीतिक कैदियों की रिहाई की मांग कर रहे हैं? मैं एक साल से अधिक समय से बिना उचित सुनवाई के सलाखों के पीछे हूं। वे मेरे बारे में बात क्यों नहीं कर रहे हैं? मुकदमे के बारे में पूछे जाने पर राज्य के पूर्व शिक्षा मंत्री ने कहा कि उन्हें जांच और पूछताछ के नाम पर अनावश्यक रूप से हिरासत में लिया गया है।

सुजातो भद्र का पलटवार

इस बीच, भद्र ने कहा कि चटर्जी किसी राजनीतिक गतिविधि के लिए कैदी नहीं बने हैं। भद्र ने कहा कि चटर्जी को किसी राजनीतिक साजिश के शिकार के रूप में कैद नहीं किया गया है। एसोसिएशन फार प्रोटेक्शन आफ डेमोक्रेटिक राइट्स (एपीडीआर) के महासचिव रंजीत शूर ने कहा कि अगर चटर्जी निर्दोष हैं, तो उन्हें मुकदमे के अंत में रिहा कर दिया जाएगा, लेकिन इस मामले में मानवाधिकार कार्यकर्ता समूह उनके साथ खड़े नहीं हो सकते। उनके खिलाफ भ्रष्टाचार का आरोप है।

इस समय आरोपों को खारिज नहीं किया जा सकता। इस मामले में एक हद तक चटर्जी ने उत्पीड़क की भूमिका निभाई। इसलिए हमारे लिए उनके साथ खड़ा होना संभव नहीं है।

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