Bengal Politics: बंगाल सरकार की ओर से एनसीसी शिविरों के लिए फंड जारी नहीं करने के आरोप पर राजनीतिक घमासान
एनसीसी कैंप आयोजित करने के लिए राज्य सरकार द्वारा फंड बंद करने की खबर सामने आने के बाद विपक्षी दलों ने राज्य सरकार पर तीखा हमला बोला है।राज्य की वित्त मंत्री ने आरोप का खंडन किया बंगाल सरकार ने एनसीसी शिविरों के लिए धन जारी करना बंद कर दिया है।
राज्य ब्यूरो, कोलकाता। एनसीसी के बंगाल और सिक्किम निदेशालय के अतिरिक्त महानिदेशक मेजर जनरल उदय शंकर सेनगुप्ता के एक पत्र के आरोपों (बंगाल सरकार ने राष्ट्रीय कैडेट कोर यानी एनसीसी शिविरों के लिए धन जारी करना बंद कर दिया है), इस मुद्दे पर राज्य सरकार के खिलाफ सियासी घमासान छिड़ गया है।
राज्य की वित्त मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य ने इस आरोप का खंडन किया है कि बंगाल सरकार ने एनसीसी शिविरों के लिए धन जारी करना बंद कर दिया है। उनके मुताबिक अक्टूबर में योजना के लिए 20 लाख रुपये मुहैया कराए गए हैं।
उन्होंने कहा- इस तरह के आरोप निराधार हैं। राज्य सरकार ने 21 अक्टूबर को 20 लाख रुपये जारी किए हैं। राज्य के वित्त विभाग द्वारा फंड के उपयोग के खातों का विवरण प्राप्त करने के बाद आने वाले दिनों में इस हिसाब से और धनराशि जारी की जाएगी।
राज्य सरकार कभी भी धन जारी करने से इन्कार नहीं करती है। बल्कि यह केंद्र सरकार है जो राज्य सरकार को केंद्रीय बकाया के भुगतान में देरी करती है या रोक देती है। राज्य सरकारें युवाओं के प्रशिक्षण और अन्य गतिविधियों में शामिल कुल खर्च का 25 प्रतिशत वहन करती हैं।
दूसरी तरफ एनसीसी कैंप आयोजित करने के लिए राज्य सरकार द्वारा फंड बंद करने की खबर सामने आने के बाद विपक्षी दलों ने राज्य सरकार पर तीखा हमला बोला है।
भाजपा विधायक और विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी ने कहा- यह एक दिवालिया राज्य सरकार है। राज्य सरकार ने एनसीसी शिविरों के अलावा कई योजनाओं के तहत धन जारी करना बंद कर दिया है। राज्य में नागरिक सुरक्षा कर्मचारियों को छह महीने से उनका वेतन नहीं मिल रहा है। मुझे संदेह है कि कुछ समय बाद यह सरकार राज्य सरकार के कर्मचारियों को वेतन भी नहीं दे पाएगी।
माकपा केंद्रीय समिति के सदस्य सुजन चक्रवर्ती ने कहा कि, यह अफसोस की बात है कि जब राज्य सरकार त्योहारों और मनोरंजन के लिए करोड़ों रुपये खर्च करने में सक्षम है, तो उनके पास युवाओं के प्रशिक्षण के लिए एनसीसी शिविरों के लिए अतिरिक्त धन नहीं है।