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प्रकाश करात ने कहा- बंगाल में माकपा में युवाओं का शामिल नहीं होना चिंता का विषय

वरिष्ठ माकपा नेता व पार्टी के पूर्व महासचिव प्रकाश करात ने बंगाल में वामपंथी संगठनों के प्रति युवा पीढ़ी की लगातार घट रही दिलचस्पी पर चिंता जताई है। राज्य से लेकर सभी स्तरों के नेता इसके लिए अपनी जिम्मेदारी से इन्कार नहीं कर सकते।

By Sumita JaiswalEdited By: Updated: Thu, 17 Mar 2022 07:27 PM (IST)
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माकपा के पूर्व महासचिव प्रकाश करात ने कहा- बंगाल के नेताओं को लेनी होगी जिम्मेदारी ।
कोलकाता, राज्य ब्यूरो। वरिष्ठ माकपा नेता व पार्टी के पूर्व महासचिव प्रकाश करात ने बंगाल में वामपंथी संगठनों के प्रति युवा पीढ़ी की लगातार घट रही दिलचस्पी पर चिंता जताई है। राज्य से लेकर सभी स्तरों के नेता इसके लिए अपनी जिम्मेदारी से इन्कार नहीं कर सकते। पार्टी के राज्य सम्मेलन में पेश की गई एक रिपोर्ट में बताया गया है कि युवा सदस्यों की संख्या लगातार घट रही है।

 कोलकाता में माकपा के 26 वें राज्य सम्मेलन में उन्होंने कहा कि उम्र नीति लागू कर पुराने नेताओं को सेवानिवृत्त होने को कहा जा रहा है। इसकी जगह नए चेहरों को लाया जा रहा है। लेकिन युवा पीढ़ी बंगाल में वामपंथी संगठनों में शामिल नहीं होना चाह रही है, जो यकीनन चिंता का विषय है। सम्मेलन में संगठनात्मक रिपोर्ट में युवा सदस्यों की संख्या में उल्लेखनीय कमी के बारे में भी चिंता जताई गई है। पार्टी ने 31 वर्ष से कम आयु के कम से कम 20 प्रतिशत सदस्यों का लक्ष्य रखा था, लेकिन 2021 के नवीनीकरण के बाद यह महज 8.60 प्रतिशत रहा है।

 करात ने कहा कि अगर राज्य में 'रेड वालंटियर्स' हाथ से निकल गए तो पार्टी को जिम्मेदारी लेनी होगी। बताते चलें कि माकपा का 'रेड वालंटियर्स' युवाओं की वाहिनी है, जो कोरोना काल में लोगों की सहायता कर रही है। उनके अनुसार केरल में भी वामपंथी छात्र संकटग्रस्त लोगों के साथ आपात स्थिति में खड़े थे लेकिन उनके पीछे राज्य की वामपंथी सरकार थी।  'रेड वालंटियर्स' ने बंगाल में बिना किसी ढांचागत समर्थन के काम किया, जो प्रशंसनीय है।

माकपा के पूर्व महासचिव ने कहा कि राज्य विधानसभा चुनाव में वाम दलों की हार के लिए गठबंधन के फैसले को जिम्मेदार नहीं ठहराया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि पार्टी की रणनीतिक लाइन के बाद बंगाल में गठबंधन बनाया गया था। यहां टीएमसी का विकल्प भाजपा और भाजपा का विकल्प टीएमसी की धारणा के इतर माकपा को तीसरे विकल्प के तौर पर आम लोगों के सामने पेश नहीं किया जा सका। इसका फायदा तृणमूल कांग्रेस को मिला है। हिंदुत्व की आक्रामकता को वामपंथी ही रोक सकते हैं, हमें इसे आंदोलन के जरिए स्थापित करना होगा।

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