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रामकृष्ण शारदा मठ की अध्यक्षा प्रब्रजिका भक्तिप्राणा का निधन, 102 साल की उम्र में दुनिया को कहा अलविदा

शारदा मठ और रामकृष्ण शारदा मिशन की अध्यक्ष प्रब्रजिका भक्तिप्राणा का निधन हो गया। रविवार रात करीब 11 बजकर 24 मिनट पर उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया। वह 102 साल की थी और उम्रजनित बीमारियों से पीड़ित थीं।

By Jagran NewsEdited By: Piyush KumarUpdated: Mon, 12 Dec 2022 03:39 PM (IST)
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रामकृष्ण शारदा मठ की अध्यक्षा प्रब्रजिका भक्तिप्राणा का निधन।

कोलकाता, राज्य ब्यूरो: शारदा मठ और रामकृष्ण शारदा मिशन की अध्यक्ष प्रब्रजिका भक्तिप्राणा का निधन हो गया। रविवार रात करीब 11 बजकर 24 मिनट पर उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया। वह 102 साल की थीं और उम्रजनित बीमारियों से पीड़ित थीं। दक्षिण कोलकाता के रामकृष्ण मिशन सेवा संस्थान अस्पताल में उनका कुछ दिनों से इलाज चल रहा था। प्रब्रजिका भक्तिप्राणा शारदा मठ की सबसे बुजुर्ग सन्यासिनी थीं। बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने उनके निधन पर शोक जताया है।

रामकृष्ण शारदा मिशन की चौथी अध्यक्ष थीं

जानकारी के मुताबिक, काशीपुर श्मशान घाट में भक्तिप्राणा माताजी का अंतिम संस्कार किया जाएगा। सोमवार को उनके पार्थिव शरीर को अंतिम दर्शन के लिए दक्षिणेश्वर स्थित शारदा मठ के मुख्य कार्यालय लाया गया। प्रब्रजिका भक्तिप्राणा माताजी श्री शारदा मठ और रामकृष्ण शारदा मिशन की चौथी अध्यक्ष थीं। अप्रैल 2009 में उन्हें इस पद पर नियुक्त किया गया था। इससे पहले लंबे समय तक वे टालीगंज स्थित मातृभवन अस्पताल के सचिव के पद पर कार्यरत थीं। उनके हाथों से अस्पताल को 10 बिस्तर वाले प्रसूति वार्ड से 100 बिस्तर वाले आधुनिक अस्पताल में अपग्रेड किया गया था।

कोलकाता में हुआ था प्रब्रजिका भक्तिप्राणा जी का जन्म

प्रब्रजिका भक्तिप्राणा माताजी का जन्म अक्टूबर 1920 में कोलकाता में हुआ था। पहले उनका नाम कल्याणी बनर्जी था। ईश्वर के प्रति उनका प्रेम बचपन से ही प्रगाढ़ था। उसके बाद वह रामकृष्ण मठ और मिशन के संपर्क में आईं। सरदेश्वरी आश्रम और हिंदू गर्ल्स स्कूल में पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने नर्सिंग की ट्रेनिंग ली। साल 1950 में वह एक नर्स के रूप में मातृभवन अस्पताल, टालीगंज में शामिल हुईं। साल 1953 में प्रब्रजिका भक्तिप्राणा माताजी को स्वामी विज्ञानानंद, श्री रामकृष्ण के प्रत्यक्ष शिष्य और रामकृष्ण मठ और मिशन के चौथे प्राचार्य द्वारा ब्रह्मचर्य से दीक्षित किया गया था।

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स्वामी शंकरानंद से ली थी संन्यास की दीक्षा

प्रब्रजिका भक्तिप्राणा माताजी को कई लोग कल्याणीधि के नाम से भी जानते थे। साल 1959 में उन्होंने रामकृष्ण मठ और मिशन के सातवें अध्यक्ष स्वामी शंकरानंद से संन्यास की दीक्षा ली। शारदा मठ को उसी वर्ष एक स्वतंत्र संघ के रूप में मान्यता दी गई थी। 1960 में प्रब्रजिका भक्तिप्राणा रामकृष्ण शारदा मिशन की प्रबंधन समिति के सदस्य भी बनीं। 18 नवंबर, 1961 को रामकृष्ण मिशन ने मातृ भवन की जिम्मेदारी रामकृष्ण शारदा मिशन को सौंप दी। तब से प्रब्रजिका भक्तिप्राणा मातृभवन की सचिव बन गईं।

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