बंगाल में मनाया गया रसगुल्ला दिवस, सीएम ने कहा मिस्टी हब में है सबका स्वागत
कोलकाता दावा था कि साल 1868 में नबीन चंद, दास ने पहली बार रसगुल्ला बनाया था जो मिठाई बनाने के लिए खासा प्रसिद्ध थे।
By Preeti jhaEdited By: Updated: Thu, 15 Nov 2018 10:25 AM (IST)
जागरण संवाददाता, कोलकाता। बात मिठाई की हो तो पश्चिम बंगाल के मशहूर रसगुल्ले की पहले याद आती है। रसगुल्ला प्रेमियों या यूं कहें कि मिठाई खाने वाले शौकीनों के लिए 14 नवंबर का दिन खास है। क्योंकि अपनी विशिष्ट विरासत को समेटे बंगाल के रसगुल्ले को पिछले वर्ष इसी दिन भौगोलिक पहचान (जीआइ) का तमगा हासिल हुआ था।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोशल मीडिया पर लिखा, बंगलार रसोगोल्ला (बंगाल के रसगुल्ले) को पिछले वर्ष इसी दिन जीआइ टैग हासिल हुआ था। हम इस मधुर दिवस की खुशी में आज के दिन मिस्टी हब में रसोगोल्ला दिवस मना रहे हैं। सभी का स्वागत है।न्यूटाउन के मिस्टी हब में। इस मौके पर आधारभूत संरचना विकास निगम एक समारोह आयोजित कर रहा है। इसमें प्रख्यात इतिहासविद, रसगुल्ला की ऐतिहासिकता और विरासत की चर्चा करेंगे। गौरतलब है कि मिस्टी हब एक ऐसा सांस्कृतिक केंद्र, बन गया है जहां पूरे कोलकाता और अन्य जगहों से बड़ी संख्या में लोग खींचे चले आते हैं।
उल्लेखनीय है कि रसगुल्ले किसका? इसे लेकर पश्चिम बंगाल और ओडि़शा में छिड़े विवाद को पिछले साल जीआइ के चेन्नई ऑफिस ने सुलझा दिया और फैसला कर दिया है कि रसगुल्ला पश्चिम बंगाल का है न कि ओडि़शा का। जीआइ एक तरह से इंटलेBुअल प्रॉपर्टी का फैसला करती है और बताती है कि कोई प्रोडक्ट्स किस इलाके, समुदाय या समाज का है।
वर्ष 2015 से जीआइ रजिस्ट्रेशन को लेकर दोनों राज्यों के बीच विवाद जारी था। ओडि़शा ने कहा था कि इस बात के सबूत हैं कि रसगुल्ला राज्य में पिछले 600 सालों से प्रयोग में है जबकि कोलकाता दावा था कि साल 1868 में नबीन चंद, दास ने पहली बार रसगुल्ला बनाया था जो मिठाई बनाने के लिए खासा प्रसिद्ध थे।
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