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बंगाल में किसानों को राहत, ममता सरकार ने कृषि आयकर में छूट की मियाद और दो साल बढ़ाई

कृषि आयकर में दो वर्षों की छूट देने की घोषणा को पंचायत चुनाव और आगामी वर्ष होने वाले लोकसभा चुनाव से जोड़ कर देखा जा रहा है। क्योंकि इसी महीने पंचायत चुनाव की घोषणा हो सकती है। (जागरण - फोटो)

By Jagran NewsEdited By: Ashisha Singh RajputUpdated: Mon, 06 Mar 2023 09:01 PM (IST)
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एप्रोप्रिएशन बिल सरकार को समेकित निधि से फंड निकालने की शक्ति देता है-

कोलकाता, राज्य ब्यूरो। ममता बनर्जी की सरकार ने कृषि आयकर में छूट की मियाद दो साल और बढ़ा दी है। वित्त राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) चंद्रिमा भट्टाचार्य ने सोमवार को विधानसभा में पश्चिम बंगाल वित्त विधेयक-2023 पेश करते हुए छूट की घोषणा की। इस दौरान मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी सदन में मौजूद थीं। वित्तमंत्री ने कहा, ''राज्य की सीएम ने किसानों के लिए आंदोलन किया था। हमलोग हर समय किसानों और कृषि को लाभ के लिए प्रयास करते रहते हैं। इसलिए अब 31 मार्च 2023 से 31 मार्च 2025 तक कृषि आयकर माफ करने के लिए यह बिल पेश किया जा रहा है।'

विपक्ष की अनुपस्थिति में वित्त बिल पारित कर की गई घोषणा

बंगाल में इसी साल होने वाले पंचायत चुनाव व अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव को देखते हुए ममता सरकार के इस फैसले को महत्वपूर्ण बताया जा रहा है। विधानसभा में यह बिल विपक्षी दलों की अनुपस्थिति में ध्वनिमत से पारित हो गया। वहीं दूसरी ओर ध्वनि मत से पश्चिम बंगाल एप्रोप्रिएशन (नं.1) बिल,2023 भी बिना किसी चर्चा के विपक्षी दलों की अनुपस्थिति में पास हो गया। एप्रोप्रिएशन बिल सरकार को समेकित निधि से फंड निकालने की शक्ति देता है, जिससे सरकार वित्त वर्ष के खर्चों को संभाल सके।

आमतौर पर बजट प्रपोजल पर चर्चा करने के बाद और ग्रांट की मांग को लेकर वोटिंग करने के बाद सरकार विधानसभा में एप्रोप्रिएशन बिल पेश करती है। परंतु, बजट सत्र के दूसरे चरण के पहले दिन बिना चर्चा के ही बिल पारित कर दिया गया।

पंचायत और लोकसभा चुनावों के मद्देनजर लिया गया निर्णय

कृषि आयकर में दो वर्षों की छूट देने की घोषणा को पंचायत चुनाव और आगामी वर्ष होने वाले लोकसभा चुनाव से जोड़ कर देखा जा रहा है। क्योंकि इसी महीने पंचायत चुनाव की घोषणा हो सकती है। गौरतलब है कि पिछले लोकसभा चुनाव में राज्य में सत्ताधारी पार्टी तृणमूल कांग्रेस को उत्तर व दक्षिण बंगाल की ऐसी कई लोकसभा सीटों पर हार का मुंह देखना पड़ा था, जहां किसान मतदाताओं की संख्या अधिक है।

उस वर्ग को वापस अपनी तरफ आकर्षित करने के लिए ही ममता सरकार ने यह कदम उठाया है। पिछले महीने पेश राज्य बजट में भी कृषि क्षेत्र पर खास तौर पर ध्यान दिया गया था। गौरतलब है कि भाजपा तृणमूल पर किसानों की अनदेखी करने का आरोप लगाती आई है।