Rajya Sabha Election: शमिक को राज्यसभा उम्मीदवार बनाने के पीछे भाजपा की ये है रणनीति, साधे एक तीर से कई निशाने
बंगाल भाजपा के प्रवक्ता शमिक भट्टाचार्य को राज्यसभा (रास) चुनाव में प्रत्याशी बनाकर पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने एक तीर से कई निशाने साधे हैं। शमिक ऐसे नेता हैं जिनकी बंगाल भाजपा में व्यापक तौर पर स्वीकार्यता है। बंगाल भाजपा अध्यक्ष सुकांत मजूमदार पूर्व अध्यक्ष दिलीप घोष से लेकर बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी तक सभी उन्हें पसंद करते हैं।
राज्य ब्यूरो, कोलकाता। बंगाल भाजपा के प्रवक्ता शमिक भट्टाचार्य को राज्यसभा (रास) चुनाव में प्रत्याशी बनाकर पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने एक तीर से कई निशाने साधे हैं। शमिक ऐसे नेता हैं, जिनकी बंगाल भाजपा में व्यापक तौर पर स्वीकार्यता है।
सभी नेता करते हैं पसंद
बंगाल भाजपा अध्यक्ष सुकांत मजूमदार, पूर्व अध्यक्ष दिलीप घोष से लेकर बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी तक सभी उन्हें पसंद करते हैं इसलिए उनके नाम पर पार्टी की राज्य इकाई में किसी तरह के मतभेद की आशंका नहीं है।
दूसरा, शमिक पार्टी के काफी पुराने व समर्पित नेता हैं। इतने वर्षों में किसी विवाद से उनका नाम नहीं जुड़ा है। तीसरा, वे मंजे हुए प्रवक्ता हैं। नाप-तोलकर बोलना जानते हैं। उन्हें कभी इसके लिए पार्टी की ओर से निर्देश देने की जरुरत नहीं पड़ी इसलिए उनके रास में जाने से वहां भाजपा का प्रतिनिधित्व और मजबूत होगा। चूंकि शमिक काफी पुराने नेता हैं, इसलिए रास के लिए उन्हें चुनकर यह संदेश देने की भी कोशिश की गई है कि पार्टी अपने पुराने नेताओं का सम्मान करती है।
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शमिक का राज्यसभा जाना लगभग तय
बंगाल विधानसभा में वर्तमान में भाजपा विधायकों की जो संख्या है, उसे देखते हुए शमिक का रास जाना लगभग तय है। इसके साथ ही शमिक के दमदम सीट से दोबारा लोकसभा चुनाव लड़ने की अटकलों पर भी विराम लग गया है। शमिक 1974 में राष्ट्रीय स्वयसेवक संघ से जुड़े थे। वहीं से राजनीति में पदार्पण हुआ। तथागत राय जब बंगाल भाजपा के अध्यक्ष थे, उस दौर में उनका राजनीतिक उत्थान हुआ। वे बंगाल भाजपा के महासचिव बनाए गए।राहुल सिन्हा के राज्य अध्यक्ष के समय तक वे इस पद पर रहे। दिलीप घोष के राज्य अध्यक्ष बनने पर शमिक को मुख्य प्रवक्ता बना दिया गया। शमिक 2014 में भाजपा से विधानसभा जाने वाले पहले शख्स थे। उसके बाद भी उन्होंने कई चुनाव लड़े, हालांकि किसी में भी जीत नहीं मिली। अब उन्हें पार्टी नेतृत्व की ओर से नई जिम्मेदारी दी जा रही है।यह भी पढ़ेंः Rajasthan: कोटा में फांसी के फंदे से लटकी एक और जिंदगी, 10 दिन में तीन छात्रों ने की आत्महत्या
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